चीन होगा चारों खाने चित! भारत में लग सकता है चीनी सीसीटीवी कैमरों पर बैन, जानें क्यों लिया यह फैसला
Updated on
28-09-2024 01:23 PM
नई दिल्ली: लेबनान में हाल ही में हुए पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट के बाद भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है। देश में काफी संख्या में चीनी सीसीटीवी लगे हैं। इन सीसीटीवी कैमरों को लेकर सरकार ने एक आदेश जारी किया है। सरकार ने सीसीटीवी बेचने वाले चाइनीज विक्रेताओं को देश से बाहर करने की बात कही थी। हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार केंद्र सरकार अपने आदेश को तुरंत लागू करने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर यह चीन के लिए बड़ा झटका होगा।
सरकार के इस कदम से स्थानीय कंपनियों को फायदा मिलने की संभावना है। सीसीटीवी कैमरों पर सरकार की नीति 8 अक्टूबर को लागू होने की संभावना है। इस नीति के लागू होने के बाद सभी चीनी कंपनियां और विक्रेता इस सेक्टर से बाहर हो जाएंगे। इसके बाद इस सेक्टर में भारतीय कंपनियों को मौका मिलने की संभावना है।
सरकार की नजर सुरक्षा पर
लेबनान में हुए विस्फोटों के बाद भारत ने भी सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। सीसीटीवी मामले में सरकार ने इस साल मार्च और अप्रैल में गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया था। हालांकि लेबनान में विस्फोटों के बाद इसमें सरकार ने तेजी दिखाई है। सरकार सीसीटीवी कैमरों पर दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन को तेज करने के लिए तैयार है। उन्हीं कंपनियों को भारत में इन्हें बेचने की इजाजत मिलेगी जिन पर भरोसा होगा।
डेटा सबसे बड़ी समस्या
सूत्र के मुताबिक सरकार का यह कदम विस्फोट के बारे में कम और डेटा के लीक होने के बारे में ज्यादा है। दरअसल, संवेदनशील जगहों पर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं। ऐसे में संभावना है कि इस सीसीटीवी कैमरों से इन जगहों का भी डेटा लीक हो सकता है। सरकार अब 'मेक-इन-इंडिया' प्रोडक्ट बनाने पर जोर दे रही है। गैजेट नोटिफिकेशन ने इस बात का जिक्र है कि सीसीटीवी कैमरे भारत में ही बनाए जाएं।
इन कंपनियों का बोलबाला
काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च एनालिस्ट वरुण गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में सीपी प्लस, हिकविजन और दहुआ जैसी कंपनियों की 60 फीसदी भारतीय बाजार में पकड़ है। इन्हें अपने सर्विलांस पोर्टफोलियो में स्थानीयकरण सामग्री को बेहतर बनाने और आरएंडडी पर दोगुना ध्यान देने की जरूरत होगी। बता दें कि सीपी प्लस भारतीय कंपनी है। वहीं हिकविजन और दहुआ चीनी कंपनियां हैं।
अमेरिका ने लगाया है बैन
नवंबर 2022 में अमेरिका ने संघीय संचार आयोग (FCC) के माध्यम से हिकविजन और दहुआ से उपकरणों की बिक्री पर बैन लगा दिया था। एफसीसी ने इन कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित किया है। क्योंकि उन्हें चिंता है कि उनके उपकरणों का इस्तेमाल चीन अमेरिका की जासूसी करने के लिए कर सकता है।
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