आगे देखते हुए उपभोग में सुधार के व्यापक होने की उम्मीद है क्योंकि आयकर में कटौती से शहरी मांग को बढ़ावा मिलेगा। इससे ग्रामीण उपभोग के स्तर में तेजी का रुझान बना रहेगा। निवेश के भीतर सार्वजनिक और घरेलू पूंजीगत व्यय विकास को रफ्तार दे रहे हैं। जबकि निजी कॉर्पोरेट पूंजीगत व्यय धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। सेवा निर्यात में मजबूती श्रम बाजार के दृष्टिकोण के लिए अच्छा संकेत है। साथ ही कम होती महंगाई से क्रय शक्ति में सुधार होने की संभावना है। इस तरह घरेलू मांग विकास का प्रमुख चालक बनने की उम्मीद है। इसे मौद्रिक और राजकोषीय दोनों मोर्चों पर नीतिगत समर्थन से बल मिलेगा। खुदरा महंगाई (CPI) घटकर अपने निकट-अवधि के शिखर से लगभग 4% तक आ गई है, जो कम होती खाद्य कीमतों से प्रेरित है।