अब तक रहस्य ही बनी हुई है उ. अमेरिका और प. यूरोप में ज्यादा मौतों की वजह
Updated on
30-05-2020 11:32 PM
-वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं को सोचने पर किया मजबूर
लंदन।कोरोना वायरस की वजह से एशियाई देशों के मुकाबले उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में ज्यादा मौतों की वजह अब तक रहस्य ही बनी हुई है। दुनियाभर में संक्रमितों की जांच की अलग रणनीति, गणना के अलग तरीके और बताए जा रहे पुष्ट मामलों की संख्या पर उठे सवालों के बीच दुनियाभर में मृत्यु दर में बड़े अंतर ने वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि एशिया में ज्यादातर देशों ने खतरे को भांपते हुए समय रहते सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे नियमों को बड़े पैमाने पर लागू किया। इससे एशिया में मृत्यु दर कम रही है। हालांकि, वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसके अलावा लोगों के जेनेटिक्स, इम्यून सिस्टम, अलग वायरस स्ट्रेंस में अंतर जैसे दूसरे पहलुओं पर भी काम कर रहे हैं। चीन के वुहान शहर में सबसे पहले दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चीन में अब तक 5,000 से कम लोगों की कोरोना वायरस (COVID-19) से मौत हुई है। इस आधार पर चीन में प्रति 10 लाख लोगों पर 3 लोगों की मौत हुई है। वहीं, जापान में ये आंकड़ा 7 लोगों की मौत का है। वियतनाम, कंबोडिया और मंगोलिया का कहना है कि उनके यहां कोविड-19 से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है।
अब अगर जर्मनी का आंकड़ा देखें तो वहां हर 10 लाख लोगों में करीब 100 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है। वहीं, प्रति 10 लाख लोगों पर कनाडा में 180, अमेरिका में करीब 300 और ब्रिटेन, इटली व स्पेन में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस से निपटने की योजना और दूसरे कारणों से पहले सभी क्षेत्रों के भौगोलिक अंतर पर विचार करना जरूरी है। सभी देशों के टेस्टिंग, रिपोर्टिंग और कंट्रोल करने के तरीकों में काफी अंतर है। इसके अलावा अलग-अलग देशों में हाइपरटेंशन, क्रॉनिक लंग्स डिजीज की दर में भी बड़ा अंतर है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में महामारी विशेषज्ञ जेफरी शमन का कहना है कि सभी देशों के टेस्टिंग, रिपोर्टिंग और कंट्रोल करने के तरीकों में काफी अंतर है। इसके अलावा अलग-अलग देशों में हाइपरटेंशन, क्रॉनिक लंग्स डिजीज की दर में भी बड़ा अंतर है. अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में ऊंची मृत्यु दर का बड़ा कारण शुरुआत में वैश्विक महामारी के खतरों को नजरअंदाज करना भी माना जा रहा है. वहीं, एशियाई देशों ने सार्स और मर्स के अनुभवों के आधार पर कोरोना वायरस फैलना शुरू होने के साथ ही रोकथाम के ठोस कदम उठा लिए थे। इनमें वुहान से आने वाले हवाई यात्रियों की स्क्रीनिंग भी शामिल थी। दक्षिण कोरिया ने शुरुआत में ही टेस्टिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेट करने की व्यापक योजना पर काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन, जापान और भारत में मृत्यु दर कम रहने पर वैज्ञानिक आश्चर्य में हैं। पाकिस्तान और फिलीपींस को लेकर भी वैज्ञानिकों की सोच कुछ ऐसी है।
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