रेलवे और राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को मुहैया करा रहे निशुल्क भोजन-पानी
Updated on
30-05-2020 11:31 PM
-रेलवे ने 28 मई तक 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई:रेलवे बोर्ड
नई दिल्ली। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा लाकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को निशुल्क घर पहुंचाने और भोजन-पानी मुहैया कराने का निर्देश देने के एक दिन बाद ही रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को जानकारी दी कि लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे ने 28 मई तक कुल 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। इन ट्रेनों के जरिये अब तक 52 लाख यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया गया है। विनोद कुमार यादव ने बताया कि राज्य सरकारें ट्रेन के चलने वाले स्टेशन पर खाना और पानी मुहैया कराती हैं। इसके अलावा रेलवे व आईआरसीटीसी यात्रा के दौरान प्रवासी मजदूरों को निशुल्क भोजन और पानी मुहैया कराते हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि अब तक 85 लाख से अधिक मील (भोजन की पूरी थाली) और 1.25 करोड़ से अधिक पानी की बोतलें निशुल्क प्रवासी मजदूरों को दी गईं। रेलवे डिवीजन विभिन्न स्टेशनों पर प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था करने के लिए स्थानीय हलवाई और बेकरी की सेवाएं ले रहा है। विनोद कुमार यादव के अनुसार 22 से 28 मई के बीच ही रेलवे ने देश में 1524 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। इस एक हफ्ते में इन ट्रेनों में 20 लाख से अधिक यात्रियों ने सफर किया। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने प्रवासी मजदूरों को यात्रा कराने के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने ट्रेनों के गंतव्य स्थान तक देरी से पहुंचने के मामले पर भी प्रतिक्रिया दी।
सूरत से सीवन 9 दिन में ट्रेन पहुंचने वाली खबर फेक न्यूज:
उन्होंने कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि एक ट्रेन सूरत से सीवान 9 दिनों में पहुंची थी, यह फेक न्यूज थी। वो ट्रेन 2 दिनों में सूरत से सीवान पहुंची थी। 3840 में सिर्फ चार ट्रेनें ही ऐसी हैं, जिन्होंने गंतव्य स्थान पहुंचने में 72 घंटे से अधिक लिए। उन्होंने जानकारी दी कि श्रमिक ट्रेनों के यात्रा करने वाले अधिकांश प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। कुल संख्या में 42 फीसदी प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश और 37 फीसदी प्रवासी मजदूरों को बिहार पहुंचाया गया है।
डिमांड होने तक चलती रहेंगी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें:
विनोद कुमार यादव के अनुसार जब तक प्रवासी मजदूर अपने घरों तक नहीं पहुंच जाते हैं, तब तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलती रहेंगी। हमें राज्य की ओर से जिस दिन डिमांड मिलती है, हम उसी दिन ट्रेन शेड्यूल कर देते हैं। उन्होंने बताया कि अब ट्रेन के ओरिजिनेटिंग राज्य (जहां से ट्रेन शुरू होती है) से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर मांग कम हो रही है। 24 मई तक 923 ट्रेनों की मांग थी, गुरुवार को घटकर यह 449 ट्रेनों की हो गई।
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