पाकिस्तान में किराना हिल्स में न्यूक्लियर ठिकाने पर हमले के बाद रेडिएशन, क्या US ने भेजी टीम? अमेरिका का आया बड़ा बयान
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14-05-2025 02:06 PM
वॉशिंगटन: भारत ने उन तमाम रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में संवेदनशील परमाणु स्थलों पर बमबारी की गई थी। लेकिन सोशल मीडिया पर कई एक्सपर्ट्स बार बार दावे कर रहे हैं कि किराना हिल्स को निशाना बनाया गया है, जहां पाकिस्तान ने अपने कुछ परमाणु वारहेड्स रखे थे या फिर जहां पाकिस्तान का न्यूक्लियर ठिकाना है। दावा किया जा रहा है कि भारत की बमबारी के बाद रेडियोएक्टिव रिसाव शुरू हो गया है और अमेरिका ने रेडिएशन की जांच करने वाले अपने एक विमान को उस साइट पर भेजा है। अब अमेरिका का भी इसपर बयान आ गया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इन आरोपों पर पहली बार बयान दिया है।
दरअसल, 12 मई को एक प्रेस ब्रीफिंग में बोलते हुए भारत के एयर ऑपरेशन के महानिदेशक एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा था कि "हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया है।" उसी प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा था कि "हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में परमाणु प्रतिष्ठान हैं। हमें इसकी जानकारी नहीं थी।" उन्होंने जिस अंदाज में ये बात कही थी, उससे सोशल मीडिया को और एक्टिव कर दिया।
अमेरिका की तरफ से क्या बयान आया? अमेरिकी विदेश विभाग से जब पूछा गया कि क्या परमाणु विकिरण लीक के मामले में अमेरिकी टीम पाकिस्तान गई है? इस सवाल का जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि 'इस समय मेरे पास इस पर पूर्वावलोकन करने के लिए कुछ भी नहीं है।' उनके इस बयान का मतलब ये निकलता है कि 'ऐसा कुछ नहीं है जिसकी जांच की जा सके।' यानि अमेरिका ने एक तरह से न्यूक्लियर रेडिएशन की जांच की खबरों का खंडन कर दिया है।
ये अफवाहें तब शुरू हुईं जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत कई पाकिस्तानी एयरबेसों पर सटीक हवाई हमले किए। इनमें सरगोधा और नूर खान एयरबेस भी शामिल थे। ये दो महत्वपूर्ण स्थल परमाणु-संबंधित बुनियादी ढांचे के बहुत करीब हैं। रावलपिंडी में स्थित नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड सेंटर से कुछ ही किलोमीटर दूर है। यहीं से पाकिस्तान के न्यूक्लियर कार्यक्रमों का प्रबंधन होता है। इस बीच, सरगोधा एयरबेस, जहां भारत ने हमला किया था, वो किराना हिल्स से करीब 20 किलोमीटर दूर है और यहां मुशफ़ एयरबेस है, जहां से पाकिस्तान अपने F-16 और JF-17 लड़ाकू विमानों को ऑपरेट करता है। पाकिस्तान की तरफ से भी अभी तक परमाणु हथियारों और परमाणु कार्यक्रमों की निगरानी करने वाले अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से जांच की कोई आधिकारिक तौर पर मांग नहीं की है। लिहाजा किराना हिल्स पर हमले की बात सिर्फ अफवाहें हो सकती हैं। ओपन सोर्स जांच संगठन OSINT ने एक्सपर्ट्स के हवाले से एनालिसिस रिपोर्ट में किराना हिल्स पर हमले का दावा किया है। लेकिन उसके दावे को अभी भी वेरिफाई नहीं किया गया। लेकिन भारत और पाकिस्तान, अभी तक दोनों ने किराना हिल्स में हमले के दावे को खारिज कर दिया है।
अमेरिकी एयरक्राफ्ट को लेकर अफवाह क्या है? इन अफवाहों की आग में घी डालने का काम तब किया गया, जब फ्लाइटरडार24 जैसे फ्लाइट ट्रैकर्स ने कथित तौर पर पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में एक अमेरिकी बीचक्राफ्ट बी350 एरियल मेजरिंग सिस्टम (AMS) एयरक्राफ्ट को देखा। टेल नंबर N111SZ वाला यह विमान अमेरिकी ऊर्जा विभाग के बेड़े का हिस्सा है, जिसे आपातकालीन स्थिति में रेडियोधर्मी रिसाव का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। B350 AMS का इस्तेमाल पहले भी फुकुशिमा आपदा जैसी घटनाओं के बाद किया जा चुका है और यह गामा-रे सेंसर और रियल-टाइम मैपिंग टूल से लैस है। इसकी कथित मौजूदगी ने सवाल खड़े किए कि क्या इसे अमेरिका ने पाकिस्तान में रेडियोएक्टिव तत्वों के रिसाव की जांच के लिए तैनात किया है? लेकिन पाकिस्तान के पास भी एक ऐसा ही एयरक्राफ्ट है, जिसे अमेरिका ने उसे दे रखा है, लिहाजा कई दावे किए गये कि वो अमेरिकी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट था, जिसे परमाणु प्रतिक्रिया के लिए तैयार किया गया था?लिहाजा अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वो एयरक्राफ्ट अमेरिकी था या पाकिस्तानी। अमेरिकी विदेश विभाग ने फिलहाल ऐसी अफवाहों को खारिज कर दिया है। जबकि पूर्व CIA अधिकारी और वर्तमान में रैंड कॉर्पोरेशन के एक्सपर्ट डेरेक ग्रॉसमैन ने दावा किया है, कि नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले से "पाकिस्तान की परमाणु कमान को खतरा पैदा हो गया" और "रेडियोधर्मिता का रिसाव" हुआ। लेकिन उनकी टिप्पणियों को भारत या संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है।
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