भोपाल । चंबल
नदी से ग्वालियर
तक पानी लाने
की योजना में
अब मुरैना जिले
को भी शामिल
करने पर विचार
शुरू हो गया
है। दोनों जिलों
का एक प्रोजेक्ट
बनाने के लिए
फिर सर्वे होगा।
उसके बाद प्रोजेक्ट
को शासन स्तर
से मंजूर कराकर
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना(एनसीआर) बोर्ड नई
दिल्ली को भेजा
जाएगा। भोपाल में मंगलवार
को नगरीय विकास
विभाग के आयुक्त
निकुंज श्रीवास्तव ने इस
प्रोजेक्ट पर ग्वालियर
तथा मुरैना जिले
के अधिकारियों से
चर्चा की। शासन
की इस कवायद
से चंबल से
ग्वालियर तक पानी
लाने का प्रोजेक्ट
खटाई में पड़
सकता है। क्योंकि
मुरैना में इस
प्रोजेक्ट पर सर्वे
में ही काफी
समय लग सकता
है।
भोपाल में हुई बैठक में आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने चंबल प्रोजेक्ट के प्रत्येक पहलु को समझा। ग्वालियर नगर में पीएचई के अधिकारियों उन्हें बताया कि चंबल से तिघरा बांध तक पानी लाने का प्रोजेक्ट बन चुका है। एनसीआर बोर्ड ने कर्ज देने पर ही सहमति जता दी है। वन विभाग की आपत्ति का निराकरण होने के बाद काम शुरू हो सकता है। यह प्रोजेक्ट सर्वे का बाद ही तैयार किया गया है। आयुक्त ने कहा कि अब इस प्रोजेक्ट पर मुरैना और ग्वालियर एक साथ मिलकर तैयार किया जा सकता है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि मुरैना में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने हाइवे किनारे की जमीन देने से मना कर दिया है। मुरैना में फ्लाई ओवर भी बाधक बनेगा। किसानों से जमीन लेने पर मुआवजा देना होगा। अभी मुरैना में इस प्रोजेक्ट पर शुरूआती काम भी नहीं हो सका है। आयुक्त ने कहा कि इस पर काम शुरू किया जाए। अब इस मुद्दे पर फिर बैठक होगी।
दो साल से फाइलों में मामला
शहर की जनता की प्यास बुझाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड नई दिल्ली ने जुलाई 2018 में नगर निगम का 398.45 करोड़ रुपए का चंबल प्रोजेक्ट मंजूर कर दिया था। 398.45 करोड़ में से 75 फीसदी यानी करीब 320 करोड़ का कर्ज नगर निगम को चुकाना है। जबकि 25 फीसदी यानी करीब 100 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने देने की सहमति दी थी। निगम प्रशासन का प्रयास था कि राज्य शासन यदि कर्ज की 80 फीसदी यानी करीब 298 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कर देता है तो जनता पर कर्ज का कम बोझ पड़ेगा। लेकिन विधानसभा चुनाव आते ही यह प्रोजेक्ट फाइलों में दबा रह गया। पिछले दिनों भाजपा के सदस्यता अभियान में राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के आग्रह पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चंबल से पानी लाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति दे दी थी।
65 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन डलेगी
चंबल नदी के प्रोजेक्ट को साल 2051 तक के लिए बताया है। उस समय शहर की आबादी 26.41 लाख होगी। उस आबादी को 466 एमएलडी पानी की जरूरत पड़ेगी। साल 2036 तक आबादी 20.61 लाख होगी और 363 एमएलडी पानी की जरूरत होगी। योजना के तहत 65 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाना होगी।