भारत को अभी भी UNSC में स्थाई सदस्यता के लिए रूस की जरूरत है। लेकिन ध्यान में रखना चाहिए कि रूस-पाकिस्तान-चीन ट्रायंगल का बनना भविष्य के लिए एक रणनीतिक सिरदर्द है। भारत को डिप्लोमेसी के हिसाब से बहुध्रुवीय संबंध बनाने की रणनीति पर जोर देना चाहिए, जैसा की भारत कर भी रहा है। भारत को अब खुलकर फ्रांस, अमेरिका, इजरायल और जापान जैसे साझेदारों के साथ संबंध बनाने की जरूरत है, ताकि चीन-पाकिस्तान के खिलाफ एक मजबूत डेटरेंट बने। रूस के साथ संबंध को अभी भी उसी गर्मजोशी के साथ जारी रखना चाहिए, लेकिन अब उसमें से 'भावनात्मक निर्भरता' को निकाल लेना चाहिए। भारत के लोगों को अब स्वीकार करना चाहिए कि रूस अब एक ऐसी स्थिति में है जहां वो चीन की छाया में खड़ा है। लिहाजा भारत को अपनी सुरक्षा, कूटनीति और रक्षा के लिए नये समीकरणों के हिसाब से ढालना चाहिए, ना की भावनाओं के आधार पर।