भोपाल । प्रकृति के नियमों को समझना आसान नहीं होता और मानसून के दावे इस बार भी सही साबित नहीं हो रहे हैं। विदा होते-होते भी मानसून बरस गया है। इससे बची फसलों को खासा नुकसान हुआ है। मंडिया बंद होने के कारण किसान फसल बेच नहीं पा रहे हैं और जो मजबूरी में बेच रहे हैं उन्हें हजार से 12 सौ रुपए क्विंटल कम पैसा मिल रहा है।
दरअसल डेढ़ महीने से सोयाबीन की फसल संकट में है। पहले येलो मोजेक, इसके बाद सितंबर के 2 सप्ताह से ज्यादा की लगातार बारिश ने सोयाबीन को खराब करने की कोई कसर नहीं छोड़ी, दो तिहाई फसलें खराब हो चुकी हैं। इसके बाद खड़ी फसल को काटने में बारिश रोड़ा बनी हुई है। मजदूर से कटाई इस समय संभव नहीं है। मशीनों का प्रयोग खेत गीले होने के कारण किया नहीं जा सकता। कुछ जगह किसानों ने सोयाबीन को निकाला है तो उसकी हालत खराब है। दागी सोयाबीन धूप के अभाव में काली पड़ रही है। इस पर मंडिया बंद होने से किसानों को रबी सीजन की तैयारी में परेशानी झेलना पड़ रही है। मजबूरी में किसान 2600 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल में सोयाबीन बेचने को मजबूर हैं। कुछ जगह तो सोयाबीन इतनी खराब हो चुकी है कि किसानों ने यह उम्मीद छोड़ दी है कि मंडी जाने लायक भी है या नहीं।
कई खेतों में पानी जमा, हल्की बारिश
मौसम वैज्ञानिकों की माने तो पंजाब के आसपास मानसून का एरिया बना था। वहीं अरब सागर की नमी का साथ मिलने से मालवा के कुछ जिलों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। पहले ही खेतों में पानी जमा है उस पर हल्की बारिश रबी सीजन की तैयारी में बाधा बनी हुई है।