कोलकाता हाई कोर्ट में गुरुवार (25 अप्रैल) को आधार कार्डों को डिएक्टिवेट करने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। इससे पहले 21 मार्च को सुनवाई हुई थी। तब हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणन के अध्यक्षता वाली बेंच ने केन्द्र को निर्देश दिया था कि याचिका में लगाए गए आरोपों पर अपना पक्ष रखें और तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें।
वहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अशोक चक्रवर्ती ने जनहित याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि याचिका में इस तरह की कार्रवाई से प्रभावित किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत मामले का हवाला नहीं दिया गया है।
ये याचिका एनआरसी के खिलाफ ज्वाइंट फोरम नाम के संगठन ने दायर की है।
याचिका में इन बातों का जिक्र
याचिका में दावा किया गया है कि धारा 28 ए के तहत प्रावधानों का इस्तेमाल कर लोगों के आधार कार्ड मनमाने तरीके से डिएक्टिवेट किए जा रहे हैं। ऐसे भी लोग हैं जिनके आधार कार्ड को नोटिस दिए बिना डिएक्टिवेट कर दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा है।
ASG के याचिका पर सवाल
वहीं, ASG अशोक चक्रवर्ती ने जनहित याचिका पर कहा था कि याचिका में आधार कार्ड बंद होने से से प्रभावित किसी भी व्यक्ति के किसी भी व्यक्तिगत मामले का हवाला नहीं दिया गया है। आधार अधिनियम की धारा 28ए केवल विदेशी नागरिकों से संबंधित है।
उन्होंने आगे कहा था कि आधार अधिनियम की धारा 28ए में प्रावधान है कि भारत में रह रहे किसी विदेशी नागरिक का आधार नंबर उनके वीजा की वैधता की अवधि समाप्त होने पर निष्क्रिय किया जा सकता है।
कुछ सरकारी विभागों की मिलीभगत से विदेशी नागरिक भारत आ रहे थे और अवैध रूप से आधार कार्ड प्राप्त कर रहे थे। इस वजह से अधिकारियों के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा समस्या पैदा हो गई।
वहीं, याचिकाकर्ता की वकील झूमा सेन ने कहा था कि धारा 28ए के तहत आधार कार्ड को निष्क्रिय करने के प्रावधान आधार अधिनियम के दायरे से बाहर हैं।