कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस हफ्ते अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल ने तीन लोगों के हवाले यह रिपोर्ट दी है। ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है।
कनाडा में इसी साल संसदीय चुनाव होने हैं, लेकिन ट्रूडो इस्तीफा दे देते हैं तो तय समय से पहले चुनाव की मांग हो सकती है।
द ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को लिबरल पार्टी की नेशनल कॉकस की बैठक होने जा रही, ट्रूडो इस बैठक से पहले इस्तीफा सौंप देंगे। माना जा रहा है कि नेशनल कॉकस की बैठक में ट्रूडो को विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में ट्रूडो को लगता है कि उन्हें इस बैठक से पहले इस्तीफे का ऐलान कर देना चाहिए।
ट्रूडो की पार्टी के 20 से ज्यादा सांसद उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा पर्सनल मीटिंग में भी कई लोग उनसे कह चुके हैं कि ट्रूडो के पास इस्तीफे के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
पिछले महीने कनाडा की डिप्टी PM और वित्तमंत्री क्रिस्टिया ने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव और ज्यादा बढ़ गया है। क्रिस्टिया का कहना था कि ट्रूडो ने उनसे वित्तमंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था।
ट्रूडो के पास बहुमत नहीं
अभी कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। कनाडा के हाउस में कॉमन्स में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।
ट्रूडो की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के पास 120 सीटें हैं।
गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था।
ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी
कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का ही कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है। दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है।
देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।
कनाडा में इसी साल होने हैं चुनाव
कनाडा में 2025 में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव होने हैं। ये चुनाव अक्टूबर से पहले कराए जाएंगे। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि वह अगला चुनाव लड़ने के लिए लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, पार्टी के कई नेता ट्रूडो को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पसंद नहीं कर रहे हैं।
ट्रूडो चौथी बार प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं। कनाडा में पिछले 100 सालों में कोई भी प्रधानमंत्री लगातार 4 बार चुनाव जीतकर नहीं आया है। ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास संसद में अकेले के दम पर बहुमत नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो के बड़े बेटे जस्टिन ट्रूडो 2013 में लिबरल पार्टी के मुखिया बने थे। इसके बाद उन्होंने 2015 में पहली बार में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने अपनी पहचान उदारवादी नेता के तौर बनाने में कामयाबी हासिल की थी।