भोपाल । प्रदेश
के ग्वालियर शहर
की 600 करोड़ रुपये
की 100 बीघा सरकारी
जमीन राज्यसभा सदस्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों
के नाम करने
के मामले में
हाई कोर्ट ने
मप्र सरकार से
एक हफ्ते में
जवाब मांगा है।
इस मामले को
चुनौती देने वाली
याचिका पर मंगलवार
को मप्र हाई
कोर्ट में आगे
सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता
ने कोर्ट से
केंद्र सरकार व तत्कालीन
एसडीएम को भी
पक्षकार बनाने का आवेदन
दिया। हाई कोर्ट
की ग्वालियर खंडपीठ
में सुनवाई के
दौरान याचिकाकर्ता ने
मांग की कि
मामले में केंद्र
सरकार का पक्ष
सुना जाए, क्योंकि
जिन 22 सर्वे नंबरों की
100 बीघा से ज्यादा
जमीन सिंधिया के
ट्रस्टों के नाम
की गई है,
उनका केंद्र सरकार
व ग्वालियर की
पूर्ववर्ती सिंधिया रियासत के
बीच हुए प्रतिज्ञा
पत्र में उल्लेख
है या नहीं,
यह केंद्र ही
बता सकता है।इस
पर मप्र सरकार
की ओर से
हाई कोर्ट में
मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता
एमपीएस रघुवंशी ने जवाब
पेश करने के
लिए समय मांगा।
इस बीच हाई
कोर्ट ने सवाल
किया कि किसी
को पक्षकार बनाने
के लिए जवाब
की क्या जरूरत
है? जब रघुवंशी
ने दोबारा समय
देने की मांग
की तो हाई
कोर्ट ने एक
सप्ताह में जवाब
पेश करने का
समय दे दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता
के आवेदन को
रिकॉर्ड पर ले
लिया है। याचिकाकर्ता
ने तर्क दिया
है कि शहर
के सिटी सेंटर,
महलगांव ओहदपुर, सिरोल के
शासकीय सर्वे नंबर की
जमीन को राजस्व
अधिकारियों ने इन
उक्त दोनों ट्रस्टों
के नाम कर
दिया है। भदौरिया
ने आरोप लगाया
है कि अधिकारियों
ने बेशकीमती संपत्तियों
का खुर्दबुर्द (हेराफेरी)
करने का षड्यंत्र
रचा है। याचिकाकर्ता
के अधिवक्ता डीपी
सिंह व अवधेश
सिंह तोमर ने
दलील दी कि
जब देश आजाद
हुआ था, तब
तत्कालीन रियासतों का विलय
किया गया था।
तब रियासतों के
राजाओं के साथ
एक प्रतिज्ञा पत्र
संपादित किया गया
था। इसमें कौनसी
संपत्ति राजा के
पास रहेगी और
कौनसी संपत्तियां सरकारी
हो जाएंगी, यह
तय किया गया
था। इसी सिलसिले
में 30 अक्टूबर 1948 को केंद्र
सरकार व तत्कालीन
सिंधिया राजघराने के बीच
एक प्रतिज्ञा पत्र
संपादित हुआ था।
भदौरिया ने कहा
कि उक्त 100 बीघा
से ज्यादा जमीन
को सिंधिया के
दो ट्रस्टों के
नाम किया गया
है, वह प्रतिज्ञा
पत्र में नहीं
हैं। ये संपत्तियां
शासकीय दर्ज हो
गई थीं, इसलिए
केंद्र सरकार का भी
पक्ष सुना जाए।
उल्लेखनीय है कि
ग्वालियर के सामाजिक
कार्यकर्ता ऋषभ भदौरिया
ने ज्योतिरादित्य सिंधिया
चैरिटेबल और कमलराजा
चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम
की गई जमीन
के मामले में
जनहित याचिका दायर
की है।