राजधानी में एक अनूठा रेस्तरां खुलने वाला है। यह गिद्धों के लिए होगा। उन्हें केमिकल फ्री भोजन मिलेगा। इसके लिए भोपाल वन डिवीजन और मदर बुल फार्म के बीच एक एमओयू हुआ है। दरअसल, गिद्धों की बढ़ती संख्या और घटते भोजन को देखते हुए भोपाल वन मंडल ने गिद्धों के लिए भोज व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में वर्ष 2019 में वल्चर गणना में 9,449 मिले थे। वर्ष 2024 में इनकी संख्या बढ़कर औसतन 10 हजार हो गई है। दूसरे नंबर तमिलनाडु है, यहां पर 5 हजार वल्चर है।
मिंडोरा और मदर बुल फार्म के बीच में बनेगा रेस्तरां
भोपाल वन डिवीजन के डीएफओ आलोक पाठक ने बताया कि वन विभाग, मदरबुल फार्म से मृत मवेशी लेगा। इसे मिंडोरा और मदरबुल फार्म के बीच एक बाड़े में रखा जाएगा ताकि दूसरे मांसाहारी वन्य प्राणी यहां तक न पहुंचे। इसके लिए तकरीबन दो एकड़ के बाड़े में मृत मवेशियों को रखा जाएगा। यह रेस्तरां सितंबर तक शुरू हो जाएगा। अभी जगह चिन्हित की है। भोपाल के केरवा पहाड़ी में 2013 से गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया था।
मवेशियों के भोजन में केमिकल का उपयोग नहीं होता... मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के डॉ. आनंद सिंह कुशवाहा ने बताया कि मदर बुल फार्म में तकरीबन 750 मवेशी हैं। उनके भोजन में केमिकल शामिल नहीं रहता है। मवेशियों के स्वास्थ्य की जांच भी हर माह होती है। यहां मवेशियों की मौत उम्रदराज होने पर होती है।
कई रेस्तरां में स्लाटर हाउस से लाते हैं खाना
डीएफओ पाठक ने बताया कि देश में कई जगहों पर गिद्ध रेस्तरां बनाए जा रहे हैं, लेकिन वहां स्लाटर हाउस से लाया हुआ भोजन होता है। या फिर किसानों के वे मवेशी होते हैं, जिन्हें ज्यादा दूध के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने की संभावना रहती है। जानवरों को दी जाने वाली पेन किलर डाइक्लोफिनेक के इस्तेमाल से गिद्धों की मौत लगातार हो रही थी। इसके कारण गिद्धों की तीन प्रजाति खत्म हो गई। जिप्स प्रजाति के गिद्धों की संख्या दस सालों में 95 से 99% तक कम हुई हैं।