भोपाल । आठ महीने बीत
जाने के बावजूद मप्र लोकसेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2019
का परिणाम घोषित नहीं किया है। परीक्षा परिणाम नहीं आने से उम्मीदवारों में आक्रोष
व्याप्त हो रहा है। सूत्रों की माने तो नवंबर 2019 में परीक्षा का विज्ञापन जारी हुआ।
जनवरी में प्रारंभिक परीक्षा हुई। उसी महीने उसका परिणाम घोषित होना था, लेकिन आठ महीने
बाद भी परिणाम तो क्या नतीजों की तारीख तक पीएससी नहीं बता पा रहा है। इससे नाराज छात्रों
ने उपचुनाव के बहिष्कार का अभियान छेड़ दिया है। परीक्षा की तैयारी कर रही मोनिका पाटीदार
के अनुसार 27 जिले उपचुनाव से प्रभावित हैं। मतलब आधा प्रदेश उपचुनाव के दायरे में
है। इस साल तीन लाख से ज्यादा विद्यार्थी शामिल हुए थे। सोशल मीडिया में अपील की जा
रही है कि उपचुनाव में मतदान का बहिष्कार करें। पीएससी द्वारा पूर्व घोषित शेड्यूल
के अनुसार जनवरी में ही राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम दिया जाना था। मार्च
में परीक्षा का अगला दौर यानी मुख्य परीक्षा आयोजित हो जाती। जुलाई-अगस्त में इंटरव्यू
का आखिरी दौर संपन्ना कर नियुक्ति आदेश भी जारी हो जाना थे। राज्य सेवा परीक्षा-2019
में कुल 540 पद हैं। इनमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी से लेकर उपजेल अधीक्षक, नायब तहसीलदार
जैसे तमाम प्रशासनिक अधिकारी संवर्ग के पद हैं। पीएससी की ओर से मामले में अधिकारिक
वक्तव्य जारी कर कहा गया है कि किन्हीं पक्षों ने कोर्ट में याचिका दायर कर 27 प्रतिशत
ओबीसी आरक्षण पर आपत्ति ली है। कोर्ट में मामला विचाराधीन है कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण
का प्रतिशत 27 हो या 14 प्रतिशत। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए परिणाम और
प्रक्रिया रोक दी गई है। इस बारे में मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग के सदस्य चंद्रशेखर
रायकवार का कहना है कि मप्र लोकसेवा आयोग सिर्फ चयन प्रक्रिया आयोजित
करवाता है। रिक्तियां और आरक्षण का फॉर्मूला शासन की ओर से भेजा जाता है। चयन सूची
शासन के आरक्षण के आधार पर तैयार होती है और आरक्षण प्रकरण विचाराधीन है। इसलिए प्रक्रिया
रोकी गई है। हमारी ओर से देरी नहीं है।