ईरान-इजरायल तनाव क्रूड ऑयल पर पड़ेगा भारी? जानिए इसका क्या होगा असर
Updated on
19-04-2024 03:16 PM
नई दिल्ली: ईरान-इस्राइल तनाव (Iran-Israel Conflict) क्रूड ऑयल के मोर्चे पर दिक्कतें बढ़ा सकता है। एक ओर जहां इस साल करीब 16 प्रतिशत चढ़ चुका क्रूड अभी 87 डॉलर प्रति बैरल के करीब है, वहीं इलेक्ट्रिक वीकल्स का इस्तेमाल बढ़ने के बाद भी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत घट नहीं रही है और इंपोर्ट पर निर्भरता बढ़ रही है, क्योंकि देश में कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है। साल 2023-24 में देश में 3 करोड़ टन क्रूड ऑयल प्रोडक्शन के टारगेट के मुकाबले उत्पादन 2.72 करोड़ टन रहा। वित्त वर्ष 2022-23 में 2.78 करोड़ टन और वित्त वर्ष 2021-22 में उत्पादन 2.84 करोड़ टन था। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में ओएनजीसी का प्रोडक्शन टारगेट 1.92 करोड़ टन था, लेकिन उत्पादन हुआ 1.81 करोड़ टन। यह वित्त वर्ष 2022 के 1.85 करोड़ टन और वित्त वर्ष 2023 के 1.84 करोड़ टन से कम रहा। इसी तरह, ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 34 लाख टन के प्रोडक्शन टारगेट के मुकाबले 33 लाख टन उत्पादन किया। हालांकि यह वित्त वर्ष 2023 के 32 लाख टन से अधिक रहा।
क्या है खपत और आयात का समीकरण?
वित्त वर्ष 2024 में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 23.33 करोड़ टन रही, जो FY23 में 22.3 करोड़ टन और 2022 में 20.2 करोड़ टन थी। वित्त वर्ष 2024 में 23.25 करोड़ टन क्रूड का आयात हुआ। वित्त वर्ष 2023 में आयात 23.27 करोड़ टन और वित्त वर्ष 2022 में 21.24 करोड़ टन रहा।
क्यों दिक्कत की बात है?
देश में ऑयल एंड गैस प्रोडक्शन का इलाका बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। इस साल एक बड़ी कामयाबी के रूप में कृष्णा गोदावरी डीप वॉटर ब्लॉक 98/2 में ओएनजीसी ने प्रोडक्शन शुरू किया था। जून तक इस ब्लॉक से 45 हजार बैरल प्रतिदिन उत्पादन होने की उम्मीद है, जो देश में कुल क्रूड उत्पादन के करीब 7 प्रतिशत के बराबर होगा।
दाम बढ़ने का क्या होगा असर?
लेकन अभी सूरत यह है कि आयात पर निर्भरता वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 87.7% हो गई, जो इससे पिछले फाइनैंशल ईयर में 87.4% थी। रूस से कम कीमत पर आयात के बावजूद भारत के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत मार्च में 84 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई। केडिया फिनकॉर्प के फाउंडर नितिन केडिया का कहना है कि टेंशन बढ़ने पर एमसीएक्स पर क्रूड 8200 रुपये प्रति बैरल के पार जा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है, ‘क्रूड उछलेगा तो रुपये पर दबाव बढ़ेगा। ट्रेड बैलेंस प्रभावित होगा और करंट अकाउंट डेफिसिट पर भी असर आ सकता है। इंफ्लेशन को भी हवा मिलेगी।'
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