क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन में क्या फर्क, भारत में कानूनी या गैर-कानूनी? सुर्खियों में आने की ये वजह जान लें
Updated on
21-11-2024 02:12 PM
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन अचानक सुर्खियों में हैं। पहला, बिटकॉइन ने पहली बार 94,000 डॉलर के स्तर को पार किया है। ऐसा उन खबरों के बीच हुआ है जिनमें कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप की सोशल मीडिया कंपनी क्रिप्टो ट्रेडिंग फर्म Bakkt को खरीदने के लिए बातचीत कर रही है। दूसरा, कांग्रेस महाराष्ट्र इकाई प्रमुख नाना पटोले और एनसीपी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले पर चुनाव प्रचार के लिए ‘अवैध बिटकॉइन गतिविधियों ’ में शामिल होने के आरोप लगे हैं। क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन क्या हैं, इनके इस्तेमाल को लेकर कानून का क्या कहता है, इनमें क्या फर्क है? आइए, यहां इन सवालों के जवाब जानते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन में फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल (आभासी) करेंसी है। यह क्रिप्टोग्राफी (कोड) से सिक्योर्ड होती है। इनका फर्जी और दो बार इस्तेमाल करना लगभग असंभव है। वे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर डीसेंट्रलाइज्ड यानी विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर मौजूद होती हैं। ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे बिटकॉइन जैसी करेंसी का संचालन होता है। वहीं, बिटकॉइन सबसे अधिक लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी का नाम है। इसके लिए लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी बनाई गई थी। क्रिप्टोकरेंसी का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। इसकी सप्लाई प्रोटोकॉल निर्धारित होती है। केंद्रीय बैंक का इन पर कंट्रोल नहीं होता है।
अभी कितनी है कीमत?
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 2024 में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। पिछले सत्र के अंत में यह 94,078 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह इसका अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। वहीं, 20 नवंबर को एशिया में शुरुआती कारोबार में यह 92,104 डॉलर पर थी।
भारत में क्या है स्थिति?
इनके कानूनी पहलू की बात करें तो भारत क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है। हालांकि, इसके लागू होने तक इसे अवैध नहीं कहा जा सकता। सरकार ने 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी को अनिवार्य और स्पष्ट रूप से वैध नहीं माना जा सकता है।
किस तरह का कन्फ्यूजन?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी निजी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के इस्तेमाल को लेकर कन्फ्यूजन में है। वह इसे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार-बार कहा है कि निजी संस्थाओं की ओर से जारी क्रिप्टोकरेंसी ‘करेंसी’ नहीं हो सकती। भारतीय रिजर्व बैंक के डिजिटल करेंसी जारी करने पर ही वह करेंसी होगी। सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी प्रभावी विनियमन या प्रतिबंध के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग’ की जरूरत होगी।
बैन लगाने का रखा गया था प्रस्ताव
इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। इसे न्यायालय के आदेश ने खारिज कर दिया था। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक स्थिरता के लिए बहुत बड़ा जोखिम मानता है। चार मार्च, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के छह अप्रैल 2018 के सर्कुलर को रद्द कर दिया था। इसमें बैंकों और आरबीआई के दायरे में आने वाली संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी के संबंध में सेवाएं देने से रोक दिया गया था।
शक्तिकांत दास का क्या है रुख?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि वर्चुअल एसेट्स ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में करेंसी सप्लाई पर नियंत्रण खो सकता है। वर्तमान में, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) क्रिप्टोकरेंसी के लिए व्यापक नीति पर विचार कर रहा है। आईएमजी ने इस पर अभी सर्कुलर जारी नहीं किया है, जो हितधारकों को क्रिप्टो करेंसी पर भारत के नीतिगत रुख पर फैसला लेने से पहले अपने विचार रखने का अवसर देगा।
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