तेहरान । ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या के साथ एक बार फिर इजरायल के साथ उसकी दुश्मनी दुनिया के सामने खुलकर आ गई है। ईरान के विदेश मंत्री ने सीधे कहा है कि ईरान का दुश्मन इजरायल इस घटना के पीछे है। खास बात यह है कि इससे पहले भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों की इस तरह हत्या की जाती रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि ईरान क्यों इजरायल को इन हमलों के पीछे जिम्मेदार मानता है? ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने ट्वीट किया- 'इस कायराना हरकत में इजरायल की भूमिका के गंभीर संकेत हैं जो हमलावरों की जंगी साजिश दिखाता है।' उन्होंने कहा कि ईरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर यूरोपियन यूनियन से अपने 'शर्मनाक दोहरे मापदंड खत्म करने और आतंकवादी घटना की निंदा' करने की अपील करता है।
फखरीजदेह को पश्चिमी और इजरायली खुफिया एजेंसियां 2003 में बंद किए देश के परमाणु बम प्रोग्राम का सीक्रेट लीडर मानती आई हैं। ईरान पर आरोप लगते रहते हैं कि वह इस प्रोग्राम को दोबारा शुरू करने की कोशिश कर रहा है जबकि ईरान ने परमाणु ऊर्जा से हथियार बनाने के आरोप का खंडन किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप लगाते हुए एक प्रेजेंटेशन के दौरान नेतन्याहू ने फखरीजदेह का प्रमुखता से जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि इस नाम को याद रखिएगा, फखरीजदेह।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के एक अधिकारी के मुताबिक वहां से हमले की रिपोर्ट्स पर कोई कॉमेंट नहीं किया जा रहा है। वहीं अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने भी कॉमेंट से इनकार किया है। गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब ईरान के किसी न्यूक्लियर साइंटिस्ट की इस तरह हत्या की गई हो। हर बार ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि उसे परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकने के लिए क्षेत्रीय दुश्मन ऐसा करता है। इजरायल इस पर कॉमेंट नहीं करता लेकिन हमेशा कहता है कि वह अपनी रक्षा के लिए ईरान को परमाणु ताकत नहीं बनने देगा। 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से इजरायल को खत्म करने की मांग उठती रही है। दरअसल, ईरान को इजरायल के अस्तित्व पर ही आपत्ति है। उसके कट्टर धार्मिक नेताओं का कहना है कि इजरायल ने गलत तरीके से मुस्लिम जमीन पर कब्जा किया है। इसी कारण से इजरायल भी ईरान को अपने लिए संकट मानता है। उसने हमेशा ईरान के परमाणु हथियारों से लैस होने का विरोध किया है। उसके नेताओं के लिए ईरान का मध्यपूर्व में विस्तार चिंता का कारण रहा है। यही कारण है कि इजरायल ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर न सिर्फ नजर रखता है बल्कि 2018 में नेतन्याहू ने बताया था कि उनके हाथ इससे जुड़े हजारों दस्तावेज लगे हैं जिन्हें उन्होंने ईरान का अटॉमिक आर्काइव' बताया था। अब भले ही फखरीजदेह की हत्या से ईजरायल का सीधा संबंध सामने न आए, दोनों देशों के बीच तनाव गहराएगा, इसमें शक नहीं है।