मुलताई । शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन कोरोना के डर से पालक बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज कर रहे है। 21 सितंबर से शासन द्वारा कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए शालाओं में यह व्यवस्था की गई थी कि उन्हें संबंधित विषयों में कोई परेशानी हो तो वे शाला जाकर शिक्षकों से मार्गदर्शन ले सकते है। इसके लिए पलकों की अनुमति अनिवार्य थी,साथ ही शालाओं को भी निर्देशित किया गया था, कि कोरोना संक्रमण से बचने के तमाम उपाय करें। 4 दिनों में महज 5 प्रतिशत बच्चे ही अपनी समस्या लेकर स्कूल पहुंचे। कोरोना संक्रमण का डर पालकों को बुरी तरह भयभीत किए हैं। नगर के उत्कृष्ट विद्यालय की प्राचार्य आरके मालवीय ने बताया कि गुरुवार कक्षा बारहवीं के बच्चों को 10.30 से 12.30 बजे तक का समय दिया गया था। इस दौरान 320 बच्चों में से 42 बच्चे उपस्थित हुए। इसी तरह कक्षा दसवीं के छात्रों को 2.00 बजे से 4.00 तक का समय दिया गया था। जिसमें 265 बच्चों में से 20 बच्चे शाला में उपस्थित हुए। प्राचार्य ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत स्कूल में व्यवस्थाएं कराई गई है। स्कूल आने वाले छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई साथ ही सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है किंतु काफी कम छात्र स्कूल आ रहे है। इधर प्राइवेट स्कूलों में भी उपस्थिति ना के बराबर है। करोला पब्लिक स्कूल के सुरेंद्र राठौर ने बताया कि उनके स्कूल में 9वीं से 12वीं तक मात्र 10 छात्र ही उपस्थित हुए उन्होंने बताया कि पालक बच्चों को स्कूल भेजने को राजी नहीं है। नगर के अन्य स्कूलों की भी हालत भी कुछ इसी तरह है। कन्याशाला, आंग्ल स्कूल सहित नगर के अनेक प्राईवेट स्कूलों की स्थिती भी कुछ एैसी ही है। पालक बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नही है।
ट्यूशन में नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
जहां एक और स्कूल में आने से छात्र घबरा रहे वही ट्यूशन में बेरोकटोक बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए ट्यूशन लगाई जा रही है भाजपा नेता चिंटू खन्ना ने कहां की कोरोना महामारी के इस दौर में भी कुछ शिक्षक ट्यूशन के कारोबार में जुटे हुए हैं उन्हें ना अपनी चिंता है ना ही बच्चों की शासन भी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर तो 30 से 40 छात्रों को साथ में बैठा कर ट्यूशन पढ़ाई जा रही है।
मुलताई में कोरोना जमकर पैर पसार रहा है ऐसे में पालक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है। इस संबंध में जब पालको चर्चा की गई तो उन्होंने कुछ यू अपनी बातें कही।
अजय यादव
नगर की व्यवसायी अजय यादव ने कहा कि कोरोना महामारी जिस तरह पैर पसार रही है आवश्यक है कि एतिहात बरता जाए ऐसे में वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने जिले के पक्ष में नहीं है क्योंकि वहां से महामारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को घर पर ही पढऩे के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं साथ ही यह भी समझा रहे हैं कि इस महामारी से बचना ज्यादा आवश्यक है जैसे ही महामारी कम होगी तब तब बच्चों को स्कूल भेजने के संबंध में विचार करेंगे
किशोर परिहार
किशोर परिहार ने कहा कि यह दौर बहुत बुरा है कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा दौर भी आएगा। अब इस सब का सामना हमें मिलकर करना है बच्चे स्कूल जाकर निश्चित रूप से दोस्तों से मिलेंगे और यदि एक भी बच्चा या शिक्षक संक्रमित होगा तो यह बीमारी सभी में फैलने की संभावनाएं बढ़ जाएगी उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को फिलहाल स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है।
कपिल खंडेलवाल
कपिल खंडेलवाल ने कहां की पढ़ाई जरूरी है लेकिन उतना ही जरूरी स्वास्थ्य भी है जब हमें पता है कि यह महामारी बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी संक्रमित कर सकती है ऐसी स्थिति में बच्चों को स्कूल भेजना कतई ठीक नहीं है। जानबूझकर बच्चों को ऐसे स्थान पर भेजना जहां से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है मेरी नजर में यह बिल्कुल गलत है।
सुमित शिवहरे
सुमित शिवहरे कहते हैं कि अब जबकि पूरे देश में कोरोना संक्रमण जमकर फैल रहा है ऐसे में जो शिक्षक ट्यूशन में छात्रों की भीड़ जमा कर रहे हैं और शासन इस पर लगाम नहीं कस पा रहा है यह शासन की नाकामी है। वैसे पालकों को ही चाहिए कि अपने बच्चों को ऐसे स्थानों से दूर रखें जहां संक्रमण का खतरा हो। प्रशासन को भी इस तरह ट्यूशन में भीड़ जमा करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।