ताइपे। चीनी हमले के खतरे का सामना कर रहा ताइवान अब अपने बचाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुट गया है। ताइवान अमेरिका से 7 अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियार खरीदने जा रहा है। दोनों देशों के बीच यह अब तक की सबसे बड़ी डील होगी। इन हथियारों में क्रूज मिसाइल, बारुदी सुरंगें और अन्य सैन्य साजो सामान शामिल हैं। इस डील में सबसे खास हथियार एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन विमान शामिल हैं। इन ड्रोन पर ताइवान 40 करोड़ डॉलर खर्च करने जा रहा है। उधर, ताइवान को नए हथियारों की बिक्री से चीन भड़क उठा है।
इस डील को मिला दें तो अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में अब तक ताइवान कुल 15 अरब डॉलर के हथियार खरीद चुका है या खरीदने जा रहा है। इससे पहले ओबामा प्रशासन के आठ साल के कार्यकाल में ताइवान ने 14 अरब डॉलर के हथियार खरीदे थे। अब क्रूज मिसाइलों और ड्रोन की खरीद से चीन पर और ज्यादा दबाव बढ़ जाएगा। यही वजह है कि इस नई डील को देखते हुए चीन भी अलर्ट हो गया है। माना जा रहा है कि अगर अमेरिका डील को अनुमति देता है तो चीन ताइवान पर कब्जे के अपने अभियान को तेज कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस डील से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में भी नाराजगी बढ़ सकती है। ब्रिटिश विशेषज्ञ स्टीव त्सांग ने कहा, 'इस डील से चीन बहुत ज्यादा नाराज हो जाएगा। मुझे डर है कि चीन इस इलाके में और ज्यादा युद्धाभ्यास बढ़ा सकता है। बता दें कि वर्ष 1979 के कानून के मुताबिक अमेरिका ताइवान को उसकी रक्षा के लिए पर्याप्त हथियार मुहैया कराने के लिए बाध्य है। कहा जा रहा है कि अगर 7 अरब डॉलर के हथियारों की अगर डील होती है तो यह अमेरिका और ताइवान के रक्षा समझौते के बाद सबसे बड़ी डील होगी।