बीजिंग। चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब तक 213 देशों तक पैर पसार चुका है। इस महामारी से दुनिया भर में करीब 4 लाख से अधिक मौते हो चुकी हैं और 80 लाख से अधिक संक्रमण के शिकार हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि चीन के बेहद करीब स्थित देश ताइवान पर इस वायरस का ज्यादा असर नहीं दिखा। ताइवान सरकार ने अपनी सूझबूझ से न सिर्फ कोरना को मात देने में कामयाबी हासिल की बल्कि अगली महामारी से लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है। जनवरी में जब संक्रमण शुरू हुआ था तब जानकारों का मानना था कि चीन के बाद सबसे ज्यादा मामले ताइवान में ही देखने को मिलेंगे, लेकिन चीन में जब 80 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आए तब ताइवान ने इसे सिर्फ 50 मामलों पर ही रोके रखा।
जानकारों का कहना है कि ताइवान ने जिस फुर्ती के साथ वायरस की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए, उसी का नतीजा है कि वह इस महासंकट से खुद को बचाए रख सका। अमेरिका की स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जेसन वैंग का कहना है कि ताइवान ने बहुत जल्दी ही मामले की गंभीरता को पहचान लिया था। "2002 और 2003 में सार्स एपिडेमिक के बाद ताइवान ने नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर स्थापित किया। यह अगली महामारी से निपटने के लिए बनाया गया था।" चीन में जैसे ही कोरोना पीड़ितों के मामले बढ़ने लगे ताइवान ने बिना देर करते हुए चीन, हांगकांग और मकाउ पर ट्रैवल बैन लगा दिया। इतना ही नहीं, ताइवान की सरकार ने सर्जिकल मास्क के निर्यात पर भी रोक लगा दी, ताकि देश में इसकी कमी ना हो सके। सरकार ने अपने संसाधनों को बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल किया, "ताइवान की सरकार ने नेशनल हेल्थ इंश्योरेंश, इमिग्रेशन और कस्टम के डाटा का समाकलन किया। लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को इससे जोड़ कर मेडिकल अधिकारी पता लगा पाए कि किन किन लोगों को संक्रमण हो सकता है।" यहां तक कि ताइवान की सरकार ने ऐसे ऐप भी तैयार किए जिनके जरिए लोग देश में प्रवेश करते वक्त क्यूआर कोड को स्कैन कर अपने लक्षण और अपनी यात्राओं की जानकारी दे सकें। इसके बाद इन लोगों के फोन पर मैसेज भेजा जाता, जिसे वे कस्टम अधिकारियों को दिखाते। अधिकारी इस तरह से पहचान कर पाते कि किसे प्रवेश करने देना है और किस पर नजर रखनी है।
ताइवान की जनता ने भी दिया अपनी सरकार का साथ:
नई तकनीक की मदद से ताइवान की सरकार बहुत कुछ करने में सफल हो पाई। " न केवल सरकार ने अपना काम संजीदगी से किया, बल्कि ताइवान की जनता ने भी अपनी सरकार का साथ दिया। उन्हें जो भी निर्देश दिए गए, लोगों ने उनका पालन किया। अमेरिका की ओरिगॉन यूनिवर्सिटी के चुनहुई ची कहते हैं, "सार्स के दौरान लोगों को बहुत सी मुश्किलों को सामना करना पड़ा था। वे यादें अभी भी ताजा हैं। इससे लोगों में सामाजिक एकजुटता का अहसास हुआ। उन्होंने इस बात को समझा कि इस मुश्किल घड़ी में वे सब एक साथ हैं और इसलिए सरकार जो कह रही है, उसे मानना ही सही है। "
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