नई दिल्ली । वाणिज्य
एवं उद्योग मंत्री
पीयूष गोयल का
कहना है कि
भारत में काम
कर रही वाहन
कंपनियों को अपनी
पेरेंट कंपनियों को रॉयल्टी
भुगतान में कमी
करनी चाहिए। उन्होंने
कहा कि इससे
उन्हें इस संकट
से उबरने में
मदद मिलेगी। सोसायटी
ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल
मैन्यूफैक्चर्स (सियाम) की वार्षिक
बैठक को संबोधित
करते हुए गोयल
ने कहा कि
देश के वाहन
बाजार पर वाहन
कंपनियों की अच्छी
खासी पकड़ है
और वे अपनी
पेरेंट कंपनियों को कई
करोड़ डॉलर का
रॉयल्टी भुगतान करती हैं।
रॉयल्टी में कमी
उनकी नकदी प्रवाह
की समस्या को
कम कर सकती
है। इससे वाहनों
की कीमतें कम
करने और घरेलू
बिक्री को बढ़ाने
में मदद मिलेगी।
भारत में काम
कर रही वाहन
कंपनियां को उनकी
विदेशी सहयोगी कंपनियों को
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, ब्रांड या
ट्रेडमार्क के उपयोग
पर रॉयल्टी का
भुगतान करना पड़ता
है। गोयल ने
कहा कि कुछ
अन्य देशों के
शुल्क और गैर-व्यापार बाधाएं खड़ी
करने से भारत
के वाहन निर्यात
को नुकसान पहुंच
रहा है। उन्होंने
उदाहरण दिया कि
ऑस्ट्रेलिया जैसे देश
ने कुछ विशेष
तरह के आयात
शुल्क लगाए हैं।
वहीं इंडोनेशिया ने
आयात का कोटा
तय कर दिया
है। गोयल ने
कहा कि हम
इन मुद्दों का
समाधान करने में
लगे हुए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के साथ
हमने बेहतर संवाद
स्थापित किया है।
मैंने इंडोनेशिया के
समक्ष भी मुद्दा
उठाया है। उद्योगों
को बाजार तक
निष्पक्ष पहुंच मिलनी चाहिए।