करतारपुर साहिब । पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर) की प्रबंधन समिति को लेकर विवाद पैदा होने के बाद अपने पाक सरकार ने अपने रुख में परिवर्तन किया है। इवेक्वी प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन डॉ. आमिर ने मीडिया को बताया है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब के धार्मिक कार्यों का प्रबंधन पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा समिति द्वारा ही किया जाएगा। जबकि इससे पहले तीन नवंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन में गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर) के रखरखाव एवं प्रबंधन की ज़िम्मेदारी इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के प्रशासकीय नियंत्रण में एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को सौंपे जाने की बात सामने आई थी। क्योंकि गुरुद्वारा दरबार साहिब सिख धर्म को मानने वालों के लिए एक बेहद ही पवित्र स्थान है। भारत समेत दुनिया भर से इस पवित्र स्थान पर हज़ारों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार के कदम की कड़ी निंदा करते हुए ये फ़ैसला वापस लेने की अपील की है। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को पाकिस्तान के राजनयिक को समन भी किया है। भारत सरकार ने अपने बयान में कहा था, हमने उन रिपोर्टों को देखा जिनके अनुसार पाकिस्तान पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का प्रबंधन एवं देखरेख का काम अल्पसंख्यक सिख समुदाय की संस्था पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर एक गैर सिख संस्था इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के हाथों दिया जा रहा है।
पाकिस्तान का यह एकतरफा निर्णय निंदनीय है और करतारपुर साहिब गलियारे तथा सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के ख़िलाफ़ है। हमें सिख समुदाय से प्रतिवेदन मिला है जिन्होंने पाकिस्तान द्वारा उस देश में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के 'अधिकारों को निशाना बनाने' के निर्णय पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। इस तरह का कार्य केवल पाकिस्तानी सरकार की वास्तविकता और उसके नेतृत्व के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करने, संरक्षण देने के लंबे दावों की पोल खोलते हैं। भारत ने सिख अल्पसंख्यक समुदाय को पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के प्रबंधन के उसके अधिकार से वंचित करने के मनमाने फैसले को पाकिस्तान सरकार से वापस लेने को कहा है।
पाकिस्तान सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे दुष्प्रचार की संज्ञा दी है। पाक विदेश मंत्रालय ने कहा, पाकिस्तान स्पष्ट रूप से करतारपुर कॉरिडोर के ख़िलाफ़ भारतीय दुष्प्रचार को पूरी तरह ख़ारिज करता है। ये दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार मूल रूप से सिख समुदाय के हितों के प्रति चिंता पैदा करके ‘पीस कॉरिडोर’ पहल को बदनाम करने की कोशिश है। आम लोगों की गुरुद्वारा दरबार साहिब के प्रति श्रद्धा होने की वजह से सिख समुदाय में इस फ़ैसले का ख़ासा विरोध देखा जा रहा है। जब तीन नवंबर को ये नोटिफिकेशन आया था, तब तत्काल तो लोगों को इसके बारे में पता नहीं चला। लेकिन जैसे ही लोगों को इस बात की जानकारी मिली कि पाकिस्तान सरकार ने पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब को लेकर ये फ़ैसला लिया है, तो पंजाब समेत दुनियाभर में लोगों ने इस फ़ैसले की निंदा करना शुरू कर दी। इस फ़ैसले की निंदा सिर्फ भारतीय सिख समुदाय की ओर से ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बसे सिख समुदाय की ओर से भी की गई।