नायमी । पाकिस्तान को इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी से एक बार फिर कश्मीर पर झटका लगा है। दरअसल इस्लामिक सहयोग संगठन यानी ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में कश्मीर मुद्दे को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, पाकिस्तान अपना चेहरा बचाने के लिए लीपा-पोती करने की कोशिश करने में जुटा है। ओआईसी ने अंग्रेजी और अरबी दोनों भाषा में बयान जारी किया है। बयान ओआईसी की काउंसिल ऑफ फॉरन मिनिस्टर्स (सीएफएम) की शुक्रवार को नायमी में होने वाली बैठक के लिए है। सऊदी अरब सीएफएम की बैठक का नेतृत्व कर रहा है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार इस बार कश्मीर ओआईसी के एजेंडे से तब बाहर है, जब पाकिस्तान के संबंध सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से बेहद खराब चल रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सवालों के बीच कहा है कि कश्मीर ओआईसी का स्थायी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद सीएफएम (काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर) की यह पहली बैठक है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस बार सीएफएम की बैठक में कश्मीर पर भारी समर्थन मिलेगा।
पाकिस्तान एक इस्लामिक देश होने के कारण कश्मीर को भी मुसलमानों से जोड़ता रहा है। इस तर्क के आधार पर वहां इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) में जोर-शोर से उठाता रहा है। लेकिन अब तक कोई समर्थन नहीं मिला और भारत सऊदी के रिश्ते मजबूत होते जा रहे है। उल्टे यूएई ने पाकिस्तानियों को नया वीजा देने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हाफिज चौधरी ने कश्मीर मुद्दे पर सत्र में मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद जाहिर की। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दा ओआईसी के एजेंडे का सबसे पुराना विवाद है। पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा कि ओआईसी दशकों से इस मुद्दे पर सीएफएम प्रस्तावों और समिट के जरिए अपनी राय स्पष्ट करता रहा है। चौधरी ने कहा कि ओआईसी ने कई बार कश्मीर मुद्दे पर आवाज उठाकर बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक निपटारे की मांग की है। जाहिद चौधरी ने कहा कि ओआईसी का जम्मू-कश्मीर को लेकर बना कॉन्टैक्ट ग्रुप पिछले 15 महीनों में तीन बार बैठकें बुला चुका है। उन्होंने कहा कि इस समूह की आखिरी बैठक में भी भारत से अपने अवैध कदम को वापस लेने और इलाके में मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकने की मांग की गई थी।
बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी करने वाले है। ओआईसी की बैठक में शामिल होने के लिए वह बुधवार को ही नाइजर के लिए रवाना हो चुके हैं। नाइजर के लिए निकलने से पहले कुरैशी ने कहा कि वहां बैठक में कश्मीर और इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाएंगे। कुरैशी ने कहा, मैं बैठक में कश्मीर मुद्दे और इस्लामोफोबिया के मुद्दे पर फोकस रखूंगा। हम मुस्लिम देशों की तमाम चुनौतियों और समस्याओं को उठाएंगे। कुरैशी बैठक के दौरान इस्लामिक देशों के समकक्षों के साथ भी मुलाकात करने वाले है।
अगस्त महीने में कुरैशी ने ओआईसी से कश्मीर मुद्दे पर विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने में टालमटोल बंद करने के लिए कहा था। कुरैशी ने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि अगर सऊदी इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक नहीं बुलाता है,तब पाकिस्तान कश्मीर पर अपने साथ खड़े मुस्लिम देशों की अलग से बैठक बुला लेगा। कुरैशी के बयान से सऊदी अरब काफी नाराज हो गया था। पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ी और सऊदी से लिया गया 2 अरब डॉलर का कर्ज लौटाना पड़ा था।