छात्रों के विदेश में पढ़ाई करने का मुख्य कारण पैरेंट्स का माइंडसेट भी है, वे बच्चों को शुरुआत से ही आईसीएसई (इंडियन सर्टिफिकेट आफ सेकेंडरी एजुकेशन) के स्कूलों में प्रवेश करवाते हैं, ताकि बच्चे अंतराराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई से परिचित हो सकें। आईसीएसई बोर्ड में पढ़ाई प्रैक्टिकल तरीके से की जाती है। जबकि सीबीएसई में थ्योरी ज्यादा होती है। अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई प्रैक्टिकल रुप से ही की जाती है। इससे छात्रों को विदेशी पढ़ाई को समझने में आसानी होती है। आईसीएसई बोर्ड के करीब 60 तो वहीं सीबीएसई बोर्ड के लगभग 40 प्रतिशत छात्र भोपाल से विदेश जाकर पढ़ाई करते हैं।