नए सिम से कहीं रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा, आ रहे अजीबोगरीब कॉल? ये टेलिकॉम कंपनियों का खेल है
Updated on
27-04-2024 12:15 PM
नई दिल्ली: आपको अभी-अभी नया मोबाइल कनेक्शन मिला है और अचानक बैंक रिकवरी एजेंट के कॉल आने शुरू हो जाते हैं। या हो सकता है कि आप अपने नए मोबाइल नंबर को बैंक अकाउंट या UPI से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पता चलता है कि यह नंबर पहले से ही किसी और के अकाउंट के साथ जुड़ा हुआ है। यह इस बात का संकेत है कि आपको टेलिकॉम कंपनी से एक रिसाइकल्ड मोबाइल नंबर मिला होगा, जो कुछ महीने पहले तक किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। अधिकारियों के अनुसार, दूरसंचार कंपनियों द्वारा हर महीने 10 मिलियन से अधिक रिसाइकल्ड मोबाइल नंबर बाजार में डाले जाते हैं। ये वे नंबर हैं जो पहले कुछ लोगों द्वारा उपयोग किए जाते थे। लेकिन जिन्होंने एक खास समय के बाद मोबाइल रिचार्ज या इसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया। इन नंबरों को फिर से बाजार में उतार दिया जाता है। नियमों के मुताबिक, टेलिकॉम कंपनियां किसी कस्टमर से मोबाइल नंबर वापस ले सकती हैं अगर वह छह महीने तक इसका इस्तेमाल या रिचार्ज नहीं करता है।
इस मामले में एक अधिकारी ने इकॉनमिक टाइम्स को बताया कि चूंकि नंबरिंग संसाधन सीमित हैं, इसलिए अनलिमिटेड अलोकेशन नहीं हो सकता है। चूंकि मोबाइल नंबरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसलिए मौजूदा संसाधनों का ही फिर से उपयोग करना होगा। हालांकि रिसाइकल्ड मोबाइल नंबरों को जारी करना कानूनी है और यह समय की आवश्यकता है। लेकिन कई मामलों में यह नए कस्टमर के लिए अनावश्यक सिरदर्दी का कारण बन जाता है। उन्हें पुराने यूजर्स के डिटेल को डिस्कनेक्ट करने के लिए बैंकों आदि का चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।टेलिकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट (DoT) द्वारा 1-9 के नंबरिंग सीरिज के हिस्से के रूप में मोबाइल और लैंडलाइन के लिए नंबर जारी किए जाते हैं। पहले मोबाइल नंबर '9' से शुरू होते थे। लेकिन बढ़ती मांग के कारण, 6, 7 और 8 नंबरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। विभाग की तरफ से नवंबर 2019 में 6-9 नंबर सीरिज में कुल 1,917 मिलियन मोबाइल नंबर जारी किए गए।
विभागों के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि समस्या रिसाइक्लिंग नंबरों की नहीं है, बल्कि विभिन्न विभागों के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी है। उदाहरण के लिए, जब किसी ग्राहक से मोबाइल नंबर वापस ले लिया जाता है, तो KYC (अपने ग्राहक को जानें) डिटेल यूजर्स बेस से हटा दिए जाते हैं। जब वही नंबर किसी अन्य व्यक्ति को जारी किया जाता है, तो नए यूजर्स की KYC स्टोर की जाएगी। लेकिन चूंकि यह डेटाबेस बैंकों, यूपीआई या ईकॉमर्स आदि से जुड़ा नहीं है, इसलिए नए यूजर्स को पर्सनली डिटेल चेंज करना होगा। एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा कोई यूनिफाइड प्लैटफॉर्म नहीं है, जहां सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ जानकारी शेयर की जा सके।
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