नक्सलवाद की हवा टाइट! बस्तर में 78 माओवादियों का सफाया, नक्सलियों ने 4 अप्रैल को बंद बुलाया
Updated on
30-03-2025 01:34 PM
रायपुर: इस साल कई मुठभेड़ों में अपने 78 कार्यकर्ताओं की मौत को माओवादियों ने स्वीकार किया है। उन्होंने दावा किया है कि इनमें से सात ग्रामीण थे। उनके कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ता भी मारे गए हैं। माओवादियों का कहना है कि हजारों सुरक्षाकर्मी उनके मुख्य इलाकों में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। वेस्ट बस्तर डिवीजन के प्रवक्ता मोहन ने एक प्रेस नोट जारी किया है। उन्होंने कहा है कि माओवादियों ने हालिया अभियानों के विरोध में 4 अप्रैल को 'बंद' का आह्वान किया है।
माओवादियों के प्रवक्ता मोहन ने एक बयान में कहा कि 12 जनवरी को बांदेपारा के पास पांच कार्यकर्ता मारे गए। 9 फरवरी को जालीपेरू के पास 31 कार्यकर्ता मारे गए। 20 मार्च को गांगालूर इलाके में 26 और उसी दिन कांकेर में चार कार्यकर्ता मारे गए। 25 मार्च को मारह डिवीजन, इंद्रावती इलाके में तीन साथियों की जान चली गई।
मारे गए दर्जनों नक्सली
माओवादियों ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें 31 मार्च, 2026 तक माओवादी आंदोलन को पूरी तरह से खत्म करने का दावा कर रही हैं। इन हमलों को उसी का हिस्सा माना जा रहा है। 20 मार्च को हुई मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में से 24 के नाम 'शहीद' के रूप में उनकी रैंक के साथ जारी किए गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने 40 ग्रामीणों को नक्सली समर्थक बताकर गिरफ्तार किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने दिया अल्टीमेटम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 31 मार्च, 2026 तक बस्तर से माओवादियों का सफाया कर दिया जाएगा और बल मिशन 2026 के तहत बस्तर में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि पिछले 15 महीनों में सैनिकों ने 330 से अधिक नक्सलियों का सामना किया है। नक्सलियों ने बलों की भारी तैनाती पर कड़ी आपत्ति जताई है, खासकर उनके गढ़ के मुख्य क्षेत्रों में। उन्होंने कहा कि बस्तर फाइटर्स, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड्स, स्पेशल टास्क फोर्स और CRPF और BSF जैसे अन्य अर्धसैनिक समूहों सहित हजारों सुरक्षाकर्मियों को संयुक्त अभियान चलाने के लिए जुटाया गया है।
माओवादियों में डर का माहौल
माओवादियों ने कहा है कि सुरक्षा बल उनके मुख्य इलाकों में घुस रहे हैं। इससे उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार माओवादी आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रही है। मोहन ने प्रेस नोट में कहा कि वे इन कार्रवाइयों के खिलाफ 4 अप्रैल को बंद करेंगे। उन्होंने अलग-अलग तारीखों पर मारे गए अपने कार्यकर्ताओं की संख्या भी बताई। जैसे कि 12 जनवरी को बांदेपारा के पास 5, 9 फरवरी को जालीपेरू के पास 31, 20 मार्च को गांगालूर में 26 और कांकेर में 4, और 25 मार्च को मारह डिवीजन में 3 कार्यकर्ता मारे गए।
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