सोयाबीन डीगम सहित सरसों तिलहन और पाम तेल कीमतों में सुधार
Updated on
09-08-2020 07:00 PM
नई दिल्ली । दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों तेल की मांग और खपत बढ़ने से सरसों दाना के अलावा बिनौला तेल की कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। इसके विपरीत मांग होने के बावजूद विदेशों में जमा भारी स्टॉक और अगली पैदावार बढ़ने की संभावनाओं के बीच आयातित पाम तेल और पामोलीन में गिरावट का रुख देखने को मिला। सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड ने देशी सरसों उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए मंडियों में सस्ते दाम में सरसों की बिक्री कम कर दी है। लॉकडाउन के दौरान इस तेल की घरेलू मांग बढ़ने से सरसों दाना की कीमत में पिछले सप्ताह के मुकाबले 180 रुपए बढ़त देखी गई। जानकारी के मुताबिक देश में खाद्य तेल की कमी को देखते हुए देशी खाद्य तेल में सस्ते आयातित तेल की मिलावट की छूट है। तेल उद्योग इस छूट का लाभ उठाते हुए सरसों, मूंगफली जैसे व्यापक उपयोग वाले देशी तेलों की बहुत कम मात्रा में, पाम तेल, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की भारी मात्रा में मिलावट (ब्लेंडिंग) करते हैं। ऐसा होने से सरसों तेल लगभग 110 रुपए किलो की कीमत पर पाम तेल जैसे सस्ते आयातित तेल लगभग 75 रुपए किलो को सरसों तेल के भाव बेच दिया जाता है। इससे आयातित विदेशी तेल तो बाजार में आसानी से खप जाते हैं, लेकिन उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है। साथ ही सस्ते आयातित तेल के मुकाबले देशी तेल-तिलहनों को बाजार में खपाना मुश्किल हो जाता है। इस बार किसानों को सरसों फसल के लिए अच्छी कीमत मिली है तथा नाफेड और हाफेड जैसी सहकारी एजेंसियां भी बहुत समझदारी के साथ कम मात्रा में सरसों की बिकवाली कर रही हैं क्योंकि सरसों की अगली फसल आने में लगभग आठ महीने हैं।
गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास सूरजमुखी, मूंगफली, सरसों और सोयाबीन का पिछले साल का भारी स्टॉक बचा है। एक- दो महीने में इसकी नई पैदावार बाजार में आ जाएगी और इस बार भी बम्पर पैदावार होने की संभावना है। वायदा कारोबार में सोयाबीन दाना, मूंगफली के भाव कम बोले जा रहे हैं और किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के घरों में अधिकांश समय रहने से सरसों तेल और विशेषकर सरसों कच्ची घानी तेल की खपत बढ़ी है। बाजार में घरेलू मांग बढ़ने और मंडियों में आवक कम होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना के भाव 180 रुपए के सुधार के साथ 5,150-5,200 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों दादरी की कीमत 10,400 रुपए प्रति क्विन्टल के पूर्वस्तर पर बंद हुई। कारोबारी उतार-चढ़ाव के बीच सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें पांच-पांच रुपए की मामूली हानि के साथ लगभग पूर्वस्तर के आसपास बंद हुईं। इनके भाव क्रमश: 1,615-1,755 रुपए और 1,725-1,845 रुपए प्रति टिन पर बंद हुए। देश में सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मूंगफली की बाजार मांग प्रभावित होने और औने-पौने दाम पर सौदों के कटान से मूंगफली दाना (तिलहन फसल) और मूंगफली गुजरात की कीमत में क्रमश: 35 रुपए और 180 रुपए प्रति क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल कीमत में 15 रुपए प्रति टिन की गिरावट आई और इनके भाव क्रमश: 4,600-4,650 रुपए, 12,000 रुपए और 1,800-1,860 रुपए रहे।
किसानों के पास पहले के बचे स्टॉक, आगामी पैदावार बम्पर रहने की उम्मीद और सस्ते विदेशी तेलों के आगे मांग न होने से सोयाबीन दिल्ली के भाव अपरिवर्तित रहे जबकि और सोयाबीन इंदौर तेल 20 रुपए के मामूली सुधार के साथ 9,120 रुपए क्विन्टल हो गया। आयातकों द्वारा बेपरता कारोबार करने की वजह से सोयाबीन डीगम के भाव में 100 रुपए प्रति क्विन्टल की हानि दर्ज हुई और यह 8,250 रुपए क्विन्टल पर बंद हुआ। सस्ते आयात के कारण स्थानीय मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव क्रमश: पांच-पांच रुपए की हानि के साथ क्रमश: 3,620-3,645 रुपए और 3,355-3,420 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। लॉकडाउन में ढील के बाद देश में सस्ते तेल की मांग बढ़ने के बावजूद मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम व पामोलीन का भारी स्टॉक जमा होने तथा आगामी पैदावार बढ़ने की संभावना के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन आरबीडी दिल्ली की कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 150 रुपए और 50 रुपए की हानि के साथ क्रमश: 7,350 - 7,400 रुपए तथा 8,850 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं जबकि पामोलीन तेल कांडला की कीमत 50 रुपए की हानि दर्शाती 8,100 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। स्थानीय मांग के कारण बिनौला तेल की कीमत 50 रुपए का सुधार के साथ 8,250 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई।
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