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सोयाबीन डीगम सहित सरसों और पाम तेल की कीमतें सुधरी

Updated on 02-08-2020 06:10 PM
नई ‎दिल्ली । देशी खाद्य तेलों में सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन डीगम के अलावा पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। दूसरी ओर सहकारी संस्था नाफेड द्वारा देशी सरसों उत्पादक किसानों के हित में मंडियों में सस्ते दाम में सरसों की बिक्री कम करने और इस तेल की घरेलू मांग बढ़ने से सरसों दाना (तिलहन) सहित इसके तेल की कीमतों में सुधार आया। जानकारी के मुता‎बिक देश में खाद्य तेल की कमी को देखते हुए देशी खाद्य तेल में सस्ते आयातित तेल की ब्लेंडिंग की छूट है। तेल उद्योग इस छूट का लाभ उठाते हुए सरसों, मूंगफली जैसे व्यापक उपयोग वाले देशी तेलों की बहुत कम मात्रा में पाम तेल, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की भारी मात्रा में मिलावट करते हैं। सरसों पक्की घानी तेल में सरसों तेल की मात्रा अधिक से अधिक 10 प्रतिशत तक की होती है जबकि बाकी सोयाबीन डीगम की मिलावट की जाती है। 
गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास सूरजमुखी, मूंगफली, सरसों और सोयाबीन का पिछले साल का भारी स्टॉक बचा है। एक- दो महीने में इसकी नयी पैदावार बाजार में आ जाएगी और इस बार भी बम्पर पैदावार होने की संभावना है। ऐसे में सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मूंगफली की बाजार मांग प्रभावित होने से मूंगफली दाना (तिलहन फसल) सहित मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल कीमतों पर दबाव रहा। गुजरात में मूंगफली में ब्लेंडिंग के लिए पामोलीन को खपाया जा रहा है जबकि किसानों के पास इसका पहले का काफी स्टॉक पड़ा है। इसकी आगामी फसल भी अच्छी होने की संभावना है लेकिन सस्ते आयात के सामने इसकी बाजार मांग नहीं है। सरकार को ब्लेंडिंग पर रोक लगानी चाहिए जिससे स्थानीय तेल बाजार में आसानी से खप जाएं। विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों के आयात कारण देशी तेलों के भाव प्रतिस्पर्धी नहीं रह गए हैं और लॉकडाउन के बाद छोटी खानपान की दुकानों, होटलों और रेस्तरां में पाम तेल की मांग बढ़ी है जिससे पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दिखा। इस बार विदेशों में पामतेल का बम्पर उत्पादन होने की पूरी संभावना है। 
सरकार को देशी तिलहन उत्पादक किसानों की रक्षा के लिए सस्ते आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ा देना चाहिए। बाजार में घरेलू मांग बढ़ने और आवक कम होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना (तिलहन फसल) के भाव 120 रुपए के सुधार के साथ 4,950-5,020 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों दादरी की कीमत भी 480 रुपए के सुधार के साथ 10,400 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें भी क्रमश: 45 रुपए और 55 रुपए के सुधार के साथ क्रमश: 1,620-1,760 रुपए और 1,730-1,850 रुपए प्रति टिन पर बंद हुईं। किसानों द्वारा मांग न होने और औने-पौने भाव पर सौदों का कटान करने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: 90 रुपए और 270 रुपए की हानि के साथ क्रमश: 4,635-4,685 रुपए और 12,180 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 35 रुपए की हानि के साथ 1,835-1,875 रुपए प्रति टिन पर बंद हुआ। 
किसानों के पास पहले के बचे स्टॉक, आगामी पैदावार बम्पर रहने की उम्मीद और सस्ते विदेशी तेलों के आगे मांग न होने से सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर तेल की कीमतें क्रमश: 220 रुपए और 10 रुपए की हानि के साथ क्रमश: 9,000 रुपए और 9,100 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर देश में ब्लेंडिंग के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन डीगम की कीमत 270 रुपए का सुधार के साथ 8,350 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव क्रमश: 10 -10 रुपए की हानि के साथ क्रमश: 3,625-3,650 रुपए और 3,360-3,425 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। लॉकडाउन में ढील के बाद भारत में सस्ते तेल की मांग फिर से बढ़ने लगी है जिसकी वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन आरबीडी दिल्ली की कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 30 रुपए और 80 रुपए के सुधार के साथ क्रमश: 7,500 - 7,550 रुपए तथा 9,000 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं जबकि पामोलीन तेल कांडला की कीमत पूर्ववत रही। स्थानीय मांग के कारण बिनौला तेल की कीमत 200 रुपए का सुधार दर्शाती 8,200 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई।


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