वाशिंगटन । मंगल ग्रह पर कभी भयानक बाढ़ आई थी। जिसे वैज्ञानिक मेगाफ्लड कह रहे हैं। साथ ही उम्मीद जता रहे हैं कि अगर बाढ़ आई थी,तब इसका मतलब वहां कभी जीवन रहा होगा। नासा द्वारा भेज मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर आए बाढ़ के सबूत भेज हैं। जिन्हें देखकर लगता है कि करोड़ों साल पहले वहां जीवन रहा होगा। शोधकर्ता इस समय नासा के साथ मिलकर मंगल ग्रह पर भेज मार्स क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा भेज गए डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं। इसी डेटा का एनालिसिस करने पर पता चला कि मंगल ग्रह पर 400 करोड़ साल पहले एक भयानक बाढ़ आई थी। इसके सबूत मंगल ग्रह के गेल क्रेटर में मिले हैं।
सवाल ये उठता है कि आखिर इतनी भयानक बाढ़ आई कैसे? आपको बता दें मंगल ग्रह पर बर्फ है। 400 करोड़ साल पहले यहां ज्यादा मात्रा में बर्फ रही होगी। तभी इस पर कोई एस्टेरॉयड आकर गिरा होगा। उसकी टक्कर से निकली ऊर्जा और गर्मी से बर्फ पिघली होगी और वह उसने भयानक बाढ़ का रूप ले लिया होगा।
आंकड़ों की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि गेल क्रेटर में इस भयावह बाढ़ के पानी की गहराई करीब 78 फीट थी। लेकिन जब लहरें उठी तब वहां विनाशकारी थीं। हर सेकेंड एक 32 फीट ऊंची लहर उठ रही थी। इतनी ऊंची लहर अगर किसी जगह उठे वहां भी हर सेकेंड उससे होने वाली तबाही भयावह हो सकती है। यहां पर बाढ़ के समय कुछ लहरें 30 फीट ऊंची ऊठी थी। पानी की लहर का फैलाव 450 फीट तक था।इन लहरों की वजह से मंगल ग्रह की सतह पर निशान पड़ गए हैं। ये निशान लहरों के हैं। इनका अध्ययन करने पर पता चला कि गेल क्रेटर में पानी कहां-कहां और कितनी मात्रा में आया होगा। ये भी पता चला कि ये पानी कितने दिन तक यहां पर रुका रहा होगा, क्योंकि बड़ी लहरों के निशान भी गेल क्रेटर की चट्टानों और मिट्टी में मिले हैं। इन्हें वैज्ञानिक मेगारिप्लस या एंटीड्यून्स कह रहे हैं।