भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अब संघ में भी अपनी पैठ जमाना शुरू कर दी है। संघ मुख्यालय नागपुर से लेकर दिल्ली तक संघ के पदाधिकारियों से मेल मुलाकात ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के मराठा प्रेम को उजागर कर दिया है। सिंधिया जब से बीजेपी में आए हैं वह लगातार मराठा भाषी लोगों से मेल-जोल बढ़ा रहे हैं। चाहे वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सांसद व मध्यप्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे हो या बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे। इनके अलावा ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर और बीजेपी प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद जब सिंधिया भोपाल पहुंचे थे, तब बीजेपी कार्यालय में उनके स्वागत के दौरान कृष्ण मुरारी मोघे मंच के नीचे बैठे थे। यह देखकर सिंधिया स्वयं कृष्ण मुरारी मोघे को लेने मंच से नीचे उतरे और मोघे को मंच पर बैठाया। उस दौरान सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा था कि कृष्ण मुरारी मोघे और हमारे परिवार का साथ 3 पीढ़ियों का हैं। इसके बाद से सिंधिया धीरे-धीरे बीजेपी से जुड़े सभी महाराष्ट्रीयन नेताओं से करीबियां बढ़ा रहे हैं। आरएसएस में भी सभी प्रमुख पदों पर महाराष्ट्रीयन पदाधिकारी है। यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संघ के जरिये बीजेपी में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मूलत: मराठा परिवार से आते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 जुलाई को राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली। शपथ लेने के 2 दिन बाद उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी समिति में सदस्य नियुक्त किया गया है। जबकि विनय सहस्रबुद्धे को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। अब बीजेपी में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। मध्यप्रदेश की 27 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी सिंधिया को अपने आपको साबित करना होगा। सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने कांग्रेस से और विधायक पद से इस्तीफा दिया था। जिसमें 14 पूर्व विधायकों को शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया है। मंत्री बने रहने के लिए सभी को चुनाव जीतना भी जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया संघ से जुड़े नेताओं को साधने की कोशिश में जुटे है।
उपचुनाव में दांव पर होगी सिंधिया की प्रतिष्ठा
मध्यप्रदेश की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 22 सीटों पर सिंधिया समर्थक चुनावी मैदान में होंगे। सभी 22 प्रत्याशियों को चुनाव में जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी भी सिंधिया के कंधों पर है। सभी 22 प्रत्याशियों ने सिंधिया के कहने पर अपने अपना राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा दिया, इसलिए सिंधिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने समर्थकों को जिताने की है।
सिंधिया को भी भितरघात का डर
27 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को भितरघात का डर सताने लगा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बात को भलीभांति जानते हैं कि बीजेपी कार्यकर्ता आज भी उनके समर्थकों को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। कांग्रेस की सरकार में मंत्री और विधायक रहते हुए सिंधिया समर्थकों ने बीजेपी कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ दुर्भावनावश कार्रवाई की थी और परेशान किया था। चाहे भू-माफिया के तौर पर दिए गए जख्म हो या कार्यकर्ताओं पर लगे राजनीतिक मुकदमे। भाजपा कार्यकर्ता आज भी उन जख्मों को भूलने को तैयार नहीं है।
मध्य प्रदेश में 8 साल से बंद पदोन्नति शुरू करने, केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत देने सहित 46 मांगों को लेकर मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने…
भोपाल में 4, ग्वालियर में 2 और जबलपुर में एक जगह ईडी की कार्रवाई; जबलपुर में प्रेस लिखे वाहनों से पहुंचे, ग्वालियर में पर्यटक बन पहुंची टीमपरिवहन विभाग के पूर्व…
मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने प्रदेश के 39 निजी विश्वविद्यालयों से 76 करोड़ रुपए की रिकवरी निकाली है। ये राशि छात्रों से ली गई फीस का 1% है, जिसे…
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने शुक्रवार को CA फाइनल का रिजल्ट जारी कर दिया है। इसमें भोपाल के कई स्टूडेंट्स ने सफलता हासिल की है। राजधानी के…
मध्यप्रदेश बीजेपी के जिला अध्यक्ष पहली बार दिल्ली से तय किए जाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन को तीन-तीन नामों का पैनल बनाकर दिल्ली भेजने को कहा है। पैनल में…
मोहन यादव सरकार नए वित्तीय बजट में युवाओं को दिए जाने वाले रोजगार पर फोकस करेगी। डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री के बजट भाषण में यह जानकारी देकर सरकार बेरोजगारी…