नई दिल्ली । रामजन्मभूमि
में विराजमान रामलला
के मंदिर समेत
पूरे 70 एकड़ परिसर
के ले-आउट
के लिए राम
जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
को करीब पांच
करोड़ विकास शुल्क
का भुगतान करना
होगा। यद्यपि अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण
एएफडीए के
लेखाधिकारी व अभियंता
अभी रामजन्मभूमि के
विशालतम नक्शे के आकार-प्रकार को लेकर
गणितीय आकलन में
जुटे हैं। गणना
के उपरांत मामले
को बोर्ड के
समक्ष प्रस्तुत किया
जाएगा, बोर्ड ही नक्शे
की स्वीकृति के
उपरांत शुल्क अदा करने
पर अंतिम मुहर
लगाएगा। यही कारण
है कि एएफडीए
के अधिकारी अभी
इस विषय पर
अपना मुंह खोलने
को तैयार नहीं
है। नगर आयुक्त
व विकास प्राधिकरण
के उपाध्यक्ष डॉ.
नीरज शुक्ल का
कहना है कि
यह विषय बोर्ड
का है, इसलिए
बैठक से पहले
कुछ भी बता
पाना असंभव है।
फिलहाल लेखा विभाग
के सूत्र बताते
हैं कि भवन
उपविधि के प्रावधानों
के अनुसार 472 रुपये
प्रति वर्ग मीटर
की दर से
कारपेट एरिया एवं 60 रुपये
प्रति वर्ग मीटर
की दर से
कवर्ड एरिया का
विकास शुल्क निर्धारित
है। अब अगर
नियमानुसार आकलन करें
तो रामजन्मभूमि तीर्थ
क्षेत्र की ओर
से प्रस्तुत ले-आउट में
कुल कारपेट एरिया
दो लाख 74 हजार
110 वर्ग मीटर दर्शाया
गया है। इसमें
राम मंदिर का
कुल कवर्ड एरिया
13 हजार वर्ग मीटर
का है। इस
लिहाज से देखें
तो ले-आउट
का ओपेन कारपेट
एरिया दो लिख
61,110 वर्ग मीटर है।
इस एरिया का
472 रुपए वर्ग मीटर
की दर से
विकास शुल्क 12,32,43,920 होता
है। इस तरह
से 13 हजार वर्ग
मीटर कवर्ड एरिया
का विकास शुल्क
78 लाख हुआ। अब
दोनों विकास शुल्क
को जोड़ दें
तो कुल विकास
शुल्क 12,40,23,920 रुपए होता
है। चूंकि रामजन्मभूमि
तीर्थ क्षेत्र एक
चैरिटेबल संस्था है और
आयकर विभाग में
पंजीकृत है, इसलिए
संस्था को विकास
शुल्क में 65 प्रतिशत
की छूट अनुमन्य
है। बताया गया
कि बोर्ड अनुमन्य
छूट के विषय
में निर्णय करेगा।
ऐसी स्थित में
मान लिया जाए
कि अनुमन्य छूट
पर बोर्ड की
मुहर लग जाएगी
तो इसके लिहाज
से 8,06,15,548 रुपए 65 प्रतिशत छूट
की दर से
कुल विकास शुल्क
से घटा दिए
जाएंगे। ऐसे में
विकास शुल्क की
कुल शेष धनराशि
4,34,08,372 रुपए ही होगी।
फिलहाल पर्यवेक्षण शुल्क व
अन्य शुल्क के
अतिरिक्त एक प्रतिशत
लेबर सेस को
जोड़ दें तो
यह धनराशि करीब
पांच करोड़ के
आसपास होगी।