वाशिंगटन । विदेश नीति की एक शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा है कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ और अधिक सोच-विचार वाली साझेदारी रखेगा और उसे क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फैकल्टी सदस्य सोहिनी चटर्जी ने कहा कि कुछ मामलों में दोनों प्रशासनों में थोड़ी-बहुत अनुरूपता होगी, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन दोनों का ही यह मानना है कि भारत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है।
पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन में वरिष्ठ नीति सलाहकार रही चटर्जी ने कहा कि जहां डोनाल्ड ट्रंप के भारत के साथ संबंध लघु अवधि वाले तथा प्रतिक्रियात्मक रहे हैं, वहीं बाइडन प्रशासन के साथ उसके संबंध अधिक सोच-विचार वाले और विश्वसनीय साबित होंगे। उन्होंने कहा मेरा विचार है कि क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिहाज से निश्चित ही भारत के साथ मिलकर काम करने और संवाद कायम करने का अवसर होगा, जिसकी आवश्यकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ वाली क्वाड साझेदारी भी जारी रहेगी। सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज में सीनियर एसोसिएट तथा इंडिपेंडेंट इंटरनेशनल लीगल एड्वोकेट्स में कानूनी सलाहकार चटर्जी ने कहा कि बाइडन प्रशासन के लिए मानवाधिकार का विषय एक आवश्यक मुद्दा होगा और आगामी प्रशासन बुनियादी एवं मूलभूत मानवाधिकारों को लेकर अधिक संवेदनशील होगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत बहुपक्षीय संस्थानों में भारत और अमेरिका के बीच और अधिक सहयोग होगा। चटर्जी ने कहा कि बाइडन की योजना कार्यालय की कमान अपने हाथ में लेने के साथ ही पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने की है।