लंदन । कहते हैं मां शब्द दुनिया का सबसे ममता वाला दयालू शब्द होता है पर ब्रिटेन की एक सबसे क्रूर मां जो किया उसने इस शब्द को कलंकित कर दिया। इस मां अपने ही बच्चों को अपना पाखाना (पॉटी) और उल्टी (वोमिट) खाने को मजबूर करती थी। ग्लॉस्टरशायर के टिवेस्बरी की रहने वाली यूनिस नाम की यह महिला दशकों तक अपने गोद लिए तीन बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करती रही थी। अलोमा गिल्बर्ट, विक्टोरिया स्प्री और क्रिस्टोफर स्प्री नाम के ये तीन बच्चे उसके साथ कई साल तक रहते रहे। इन तीनों में विक्टोरिया ने सबसे ज्यादा समय यूनिस के साथ गुजारा था। यूनिस इन तीनों की गर्दन पर चढ़ कर बैठ जाती थी। उनके चेहरे को सैंडपेपर से रगड़ देती थी और उन्हें हफ्तों तक नग्न रखा करती थी। यूनिस क्रिकेट के बैट से उन्हें पीटा करती थी कभी चाक़ू से हमला करती थी। वह कभी कभी उनका सर पानी में डुबाये रखती थी।
विक्टोरिया ने भागने से पहले 17 साल की यातना झेली और पुलिस के पास जाने का साहस जुटाया। यूनिस ने विक्टोरिया को 17 साल की उम्र में टेव्सबरी में धार्मिक बैठकों में अपने छोटे भाई के साथ जाने की इजाज़त दी। उसने उन कार्यक्रमों में एक युवा जोड़े को अपनी व्यथा सुनाई जिससे उन दोनों ने उनकी मदद करने का फैसला किया। वर्ष 2004 के क्रिसमस से ठीक पहले विक्टोरिया को उसके घर के बाहर से उठा लिया गया। विक्टोरिया को पुलिस को अपनी यातना बताने की हिम्मत जुटाने में तीन हफ्ते लग गए।
विक्टोरिया का निधन 35 साल की उम्र में हो गया। उसकी मौत को संदिग्ध नहीं माना जा रहा है। पुलिस ने उसकी मौत की जांच शुरू कर दी है। विक्टोरिया के भाई क्रिस्टोफर ने बताया कि मरने से पहले विक्टोरिया ग्लूस्टरशायर सेफगार्डिंग बोर्ड और सामाजिक सेवाओं के साथ काम कर रही थी। वह यह सब इसलिए कर रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि बच्चों के शोषण के इतिहास में सबसे आखिरी केस हमारा हो। हमारे बाद किसी बच्चे को ऐसी यातना और शोषण न झेलना पड़ा। 76 साल की यूनिस स्प्री को अप्रैल 2007 में अपने गोद लिए बच्चों पर किये बाल शोषण के 26 आरोपों में दोषी ठहराया गया था। उसे 14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई और 80,000 डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया। बाद में अपील करने पर उसकी सजा अपील पर 12 साल की हो गई और 2014 में यूनिस को रिहा कर दिया गया।