इमरान खान देश से माफी मांगें... पाकिस्तानी सेना ने दिखाया कौन है पाकिस्तान का असली बॉस, बताया पीटीआई की वापसी रास्ता
Updated on
08-05-2024 01:19 PM
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि भले कोई सत्ता में रहे लेकिन देश को चलाने वाली असल में पाकिस्तानी सेना ही है। पाकिस्तान की सत्ता में कौन रहेगा और कौन बाहर बैठेगा, इसका फैसला पाकिस्तानी आर्मी के हाथ में होता है। पाकिस्तान की सेना के ताजा बयान ने एक बार फिर इसे सही साबित किया है। पाकिस्तानी सेना ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से देश के सामने माफी मांगने को कहा है। सेना के प्रचार विभाग आईएसपीआर के महानिदेशक मेजर जनरल अहमद शरीफ ने मंगलवार को कहा कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) से कोई बातचीत तभी हो सकती है जब यह देश के सामने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।
इमरान खान की वापसी का बताया रास्ता
जनरल शरीफ से पूछा गया कि क्या पीटीआई के साथ किसी बातचीत की संभावना है तो उन्होंने जवाब दिया, 'अगर कोई राजनीतिक विचारधारा, नेता या गुट अपनी ही सेना पर हमला करता है. सेना और उसके लोगों के बीच दरार पैदा करता है। देश के शहीदों का अपमान करे, धमकियां दे, दुष्प्रचार करे तो उनसे कोई बातचीत नहीं हो सकती।' उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे राजनीतिक अराजकतावादियों के लिए वापसी का केवल एक ही रास्ता है कि वह (पीटीआई) देश के सामने ईमानदारी से माफी मांगे और वादा करे कि वह नफरत की राजनीति को छोड़कर रचनात्मक (शैली की) राजनीति अपनाएगी।'
इसके बाद डीजी आईएसपीआर ने ऐसी किसी भी बातचीत को राजनीतिक दलों के बीच होने की बात कही। उन्होंने कहा, 'सेना का शामिल होना इसमें उचित नहीं है।' पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में इस बात पर चर्चा हो रही है कि सरकार को जेल में बंद पीटीआई नेता इमरान खान से बातचीत शुरू करनी चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बचाने के लिए राजनीतिक स्थिरता का होना बहुत जरूरी है। इसलिए इमरान खान और सरकार के बीच डील होनी चाहिए लेकिन पाकिस्तान आर्मी ने अब खुलकर इस बारे में जवाब दे दिया है।
9 मई की घटना को बताया देश का मामला
जनरल शरीफ ने कहा, 9 मई की घटना सिर्फ पाकिस्तानी सेना नहीं बल्कि देश का मामला है। उन्होंने कहा, 'अगर किसी देश में उसकी सेना पर हमला किया जाता है, उसके शहीदों के प्रतीकों का अपमान किया जाता है, उसके संस्थापक के घर में आग लगा दी जाती है, उसकी सेना और जनता के बीच नफरत पैदा की जाती है, और अगर इसके पीछे के लोगों को न्याय के दायरे में नहीं लाया जाता है , तो उस देश की न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है। हमारा मानना है कि 9 मई के अपराधियों और उन्हें आदेश देने वालों, दोनों को संविधान और कानून के अनुसार सजा दी जानी चाहिए।'
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