इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने का ऐलान कर दिया है। रविवार को वह 73वें स्वतंत्रता दिवस के समारोह में पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह ऐलान किया। इससे पहले इमरान ऐलान कर चुके हैं कि गिलगित-बाल्टिस्तान को संवैधानिक अधिकार दिए जाएंगे और नवंबर में चुनाव भी कराए जाएंगे। गौरतलब है कि भारत इस कदम का विरोध करता आया है और पाकिस्तान के अंदर ही इसे चुनौती मिल चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खान ने यहां कहा, हमने यह फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रेजॉलूशन को ध्यान में रखते हुए किया है। खान ने कहा कि वह गिलगित-बाल्टिस्तान को दिए जाने वाले पैकेज के बारे में चर्चा या ऐलान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि चुनाव के चलते लागू हुए नियमों का उल्लंघन होगा। इमरान सरकार ने जब इस बारे में ऐलान किया था, तभी से विपक्षी पार्टियां नाराज हो गई थीं। जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम-एफ चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने तो जीबी को प्रांत बनाने के खिलाफ ही रुख अपनाया हुआ है। रहमान के मुताबिक ऐसा करने से भारत का जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला भी वैध साबित हो जाएगा। विपक्ष ने सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा को एक बैठक में चुनाव के बाद इस मुद्दे पर चर्चा का आश्वासन दिया था, लेकिन इमरान ने पहले ही ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि 1947 में देश के विभाजन के दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान यह क्षेत्र न तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का। 1935 में ब्रिटेन ने इस हिस्से को गिलगित एजेंसी को 60 साल के लिए लीज पर दिया था, लेकिन अंग्रेजों ने इस लीज को एक अगस्त 1947 को रद्द करके क्षेत्र को जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया। राजा हरि सिंह ने पाकिस्तानी आक्रमण के बाद 31 अक्तूबर 1947 को पूरे जम्मू और कश्मीर का विलय भारत में कर दिया। गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के कारण 2 नवंबर 1947 को विद्रोह कर दिया। उसने जम्मू-कश्मीर से गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान भी कर दिया। हालांकि पाकिस्तानी आक्रमण के कारण यह इलाका उसके कब्जे में आ गया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सीजफायर घोषित करने के बाद से पाक का यहां कब्जा बना रहा। 28 अप्रैल 1949 को पीओके की मुखौटा सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया।