कांग्रेस शराब की बजाय बच्चों के दूध, गरीबों के भोजन की चिंता करती तो सरकार नहीं जाती : गोटिया
Updated on
11-08-2020 07:39 PM
भोपाल। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री बृजेंन्द्रसिंह राठौर ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकताएं स्पष्ट कर दी हैं। उन्होंने जिस गंभीरता के साथ शराब, शराबियों और शराब कारोबारियों की बात उठाई है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस को सबसे अधिक चिंता शराब की है। दूध, सब्जी, भोजन और दवाओं जैसी चीजें कांग्रेस की प्राथमिकता सूची में कहीं भी नहीं है। इतनी चिंता कांग्रेस ने अगर बच्चों के दूध, बुजुर्गों की दवा और गरीबों के भोजन की होती, तो शायद उसकी सरकार नहीं गिरती। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गोटिया ने पूर्व मंत्री बृजेन्द्रसिंह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
श्री गोटिया ने कहा कि पहले भी और आज भी शराब के बारे में भारतीय जनता पार्टी सरकार की सोच स्पष्ट रही है। भाजपा सरकार शराब को एक सामाजिक बुराई मानती रही है और उसका अंतिम लक्ष्य नशाबंदी है। अपने पिछले कार्यकाल में भी भाजपा की सरकार ने राजस्व के नुकसान की परवाह न करते हुए शराब दुकानों की संख्या कम कर दी थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही ऐसी नीतियां बनाना शुरू कर दी, जो शराब माफिया के लिए फायदेमंद थीं। कांग्रेस की सरकार शराब दुकानों को गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले तक ले गई। यहां तक कि कमलनाथ सरकार तो लोगों के घरों पर शराब पहुंचाने वाली थी, महिलाओं के लिए अलग दुकान खोलने वाली थी। श्री गोटिया ने कहा कि ऐसे में बेहतर होता यदि पूर्व मंत्री बृजेंद्रसिंह भाजपा सरकार पर कोई आरोप लगाने से पहले अपनी सरकार की शराब नीतियों पर नजर डाल लेते, एक बार अपने गिरेबान में झांक लेते।
सरकार में थे, तब क्यों नहीं की रेत माफिया पर कार्रवाई ?
श्री गोटिया ने कहा कि भाजपा सरकार पर आरोप लगाने से पहले पूर्व मंत्री बृजेंद्रसिंह को प्रदेश की जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने रेत माफिया पर उस समय क्यों कार्रवाई नहीं की, जब उनकी सरकार थी? उन्होंने तब अपनी आवाज क्यों नहीं उठाई, जब कमलनाथ सरकार के मंत्री और सरकार को समर्थन दे रहे विधायक ही रेत के अवैध कारोबार का पैसा ऊपर तक जाने के आरोप लगा रहे थे और अधिकारियों की मिलीभगत से रेत माफिया बेलगाम होने की बात कर रहे थे। श्री गोटिया ने कहा कि सरकार गिर जाने के बाद अब कांग्रेस के नेताओं द्वारा रेत के अवैध कारोबार की चिंता करना, मगरमच्छ के आंसुओं से ज्यादा कुछ नहीं है।
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