बड़ा नाम सुना था डीडीए के लक्जरी फ्लैट का, जब खरीद कर देखने गए तो माथा पकड़ लिए
Updated on
16-04-2024 03:06 PM
नई दिल्ली: ब्रिगेडियर सुजीत नारायण सेना से रिटायर हो चुके हैं। वह दिल्ली के किसी अच्छे इलाके में रिटायर्ड लाइफ बिताना चाहते थे। जब, नवंबर 2023 में उन्होंने सुना कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) या डीडीए लक्जरी फ्लैटों की एक योजना The Golf View Condos लेकर आ रहा है। बताया गया था कि यह डीडीए का अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है जो कि सारी सुविधाओं से परिपूर्ण है। बस उन्होंने सोच लिया कि उनके रिटायर्ड लाइफ बिताने वाले घर की उनकी तलाश पूरी हो गई है। लेकिन जब वह फ्लैट के लिए पूरी रकम जमा कर अपना फ्लैट देखने गए तो माथा पकड़ लिया। उनका सपना चकनाचूर हो गया।
सरकारी योजना पर भरोसा किया
इंडियन एक्सप्रेस में आई एक खबर में ब्रिगेडियर नारायण की आपबीती सुनाई गई है। उसमें वह बताते हैं कि इससे पहले भी वह एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में अपना हाथ जला बैठे थे। उसमें तो बिल्डर ही दिवालिया घोषित हो गया। तब उन्हें लगा कि डीडीए तो केंद्र सरकार की एजेंसी है। डीडीए का The Golf View Condos तो सरकारी आवासीय प्रोजेक्ट है। इसमें सबकुछ ठीक ही होगा। लेकिन जब उन्हें डीडीए प्रोजेक्ट की असलियत का अंदाजा मिला तो बेबस से नजर आए। दरअसल, ब्रिगेडियर नारायण उन आवंटियों में से हैं, जिन्होंने 8 अप्रैल को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को पत्र लिखकर द्वारका, सेक्टर 19-बी में निर्माणाधीन परियोजना में असमान निर्माण, जंग लगी लोहे की फिटिंग और रिसाव के मुद्दों जैसी विसंगतियों की ओर इशारा किया था।
कंस्ट्रक्शन क्वालिटी बेहद खराब
इस योजना के आवंटियों ने बताया कि बोली प्रक्रिया के तुरंत बाद, उन्हें निर्माण गुणवत्ता (Construction Quality) में दिक्कत नजर आने लगी। अर्ध-निर्मित अपार्टमेंट सोसायटी में प्रवेश करते समय, पहली चीज़, जिसने उनका ध्यान खींचा, वह दीवार पर लगी टाइल थी। ये टाइलें फर्श पर बिखरी पड़ी थी। उन टाइल्स के नीचे धब्बेदार सीमेंट दिखाई दे रहा था। पाइपों और लोहे के रिइनफोर्समेंट में जंग लगे हुए थे। कुछ आवंटियों ने आरोप लगाया कि लक्जरी फ्लैट में पुरानी फिटिंग्स को उपयोग में लाया जा सकता था। इसके अलावा, अनफिनिश्ड दीवारों और उस पर पलस्तर से झांकते बिजली और पानी के पाइप नजर आ रहे थे। सिविल इंजीनियर के रूप में काम करने वाले एचआईजी आवंटी ऋषि झा ने कहा, "कुछ ही महीने बाद इस बिल्डिंग में आप लताओं और पौधों, बरगद के अंकुरों को उगते हुए देखेंगे। क्योंकि दीवारों से झांकते पानी पाइपों के जोड़ों में ये जमा होते रहते हैं।"
रेरा में भी नही है रजिस्टर्ड
इससे पहले, आवंटियों को यह जानकर निराशा हुई कि कॉम्प्लेक्स को रियल एस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी (RERA) के तहत रजिस्टर नहीं किया गया था। डीडीए द्वारा 15 मार्च को एक पूर्ण आवेदन प्रस्तुत करने के बाद रेरा ने अंततः गोल्फ व्यू कॉन्डो को रजिस्टर किया। रेरा के बार-बार हस्तक्षेप के बाद पंजीकरण अंततः 2 अप्रैल को पूरा हुआ। इसने डीडीए को आवंटियों के धन की सुरक्षा के लिए एक एस्क्रो खाता खोलने का भी निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, जबकि डीडीए के ब्रोशर ने शुरुआत में परियोजना को जून 2024 तक पूरा करने का वादा किया था, अब उसने RERA को सूचित किया है कि समय सीमा अक्टूबर 2024 तक बढ़ सकती है।
मार्केटिंग बहुत अच्छी लेकिन क्वालिटी खराब
डीडीए के एचआईजी फ्लैट के मालिक सोनू गर्ग ने कहा, "उन्होंने (डीडीए ने) फ्लैटों की बहुत अच्छी तरह से मार्केटिंग की है, लेकिन काम की गुणवत्ता ने हमें निराश कर दिया है।" उल्लेखनीय है कि बोली के पहले चरण के दौरान, एचआईजी फ्लैटों के लिए उच्चतम बोली 3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, सुपर -एचआईजी फ्लैट 4.5 करोड़ रुपये तक और पेंटहाउस 5.76 करोड़ रुपये तक में बिके।
75 फीसदी राशि का हो चुका है भुगतान
डीडीए के एचआईजी फ्लैट के एक अन्य आवंटी विक्रांत खट्टर का कहना है “हमने पहले ही 75% राशि का भुगतान कर दिया है...हमारे लोन की ईएमआई अपने आप कट जाती है और हम उसके ऊपर किराया का भुगतान कर रहे हैं। मेरी आय का लगभग 70% हिस्सा इसमें चला जाता है। ” उनकी चिंताएं इस बात को लेकर और भी गहरी हैं कि जून तक उन्हें अपने घरों का कब्ज़ा नहीं मिलेगा। हालांकि डीडीए ने ब्रोशर में ऐसा ही वादा किया था।
फ्लैट की हालत खराब
हाल ही में एक दौरे पर इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार ने पाया कि सिपेज के कारण छत से पेंट और प्लास्टर उखड़ रहा है। दीवारों पर बिजली के तारों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली धातु की नलिकाएं कुछ दीवारों में खुली पड़ी हैं। इनमें पहले से ही जंग लगा हुआ है। सिविल इंजीनियर झा का कहना है कि डीडीए वाले “वे प्लास्टर के बाद उसकी ढंग से तराई नहीं कर रहे हैं। यदि वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें सेल्फ-क्योरिंग सीमेंट का उपयोग करना चाहिए... ये ऐसी समस्याएं हैं जो निर्माण के 20-25 साल बाद इमारतों में दिखाई देती हैं। उन्होंने नाखून से ही दीवार को खोद कर दिखाया कि किस तरह से प्लस्टर उखर का उंगलियों के बीच आ रहे हैं।
क्या है डीडीए का कहना
इस बारे में सवाल भेजे जाने पर उसके जवाब में, डीडीए के एक प्रवक्ता ने कहा कि 19B में गोल्फ व्यू कॉन्डोस की नीलामी से पहले उसे संभावित ग्राहकों को दिखाया गया था। ग्राहक फ्लैट को खरीदने से पहले अच्छी तरह से जांच-परख कर सके, इसके लिए शिविरों का आयोजन किया गया। सभी ग्राहकों ने अपनी पसंद का अपार्टमेंट देखने और चुनने के बाद उत्साहपूर्वक भाग लिया। डीडीए अपने सभी ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण आवास प्रदान करने के अपने इतिहास पर कायम रहेगा।'
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