कच्चे माल की घटी कीमतें, तब भी आपका बिल क्यों नहीं घटीं, यहां जानिए
Updated on
17-04-2024 01:10 PM
नई दिल्ली : एफएमसीजी इंडस्ट्री में काम आने वाले अधिकतर कच्चे माल की कीमतें या तो स्थिर हैं या फिर घटी हैं। इसके बावजूद कंज्यूमर गुड्स की कीमतों में आपको राहत नहीं मिल रही हैं। इसकी वजह बताई है हमारे सहयोगी अखबार इकॉनमिक टाइम्स ने। इसकी एक रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह का सामान बनाने वाली कंपनियों ने अपने प्रोफिट मार्जिन को मेंटेन रखने के लिए खुदरा कीमतें नहीं घटाई हैं। हो सकता है कि ये कंपनियां निकट भविष्य में कीमतें बढ़ा भी दें।
इनपुट कॉस्ट में कमी
ज्यादातर कंस्यूमर गुड्स कंपनियों की तरफ से पिछली कुछ तिमाहियों में होम, पर्सनल और फूड कैटिगरी से जुड़े प्रोडक्ट की कीमतों में कटौती की गई है। इसके बावजूद उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें दो साल पहले की तुलना में अधिक बनी हुई हैं। कंस्यूमर गुड्स कंपनियों का कहना है कि कच्चे माल, सप्लाई चेन में बढ़ती लागत को मेंटेन करने के लिए पिछले दो साल में कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। दरअसल, कॉस्ट इंफ्लेशन कोरोना महामारी के साथ शुरू हुई और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इसमें और इजाफा हुआ है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक साल पहले की तुलना में क्रूड ऑयल, पॉम ऑयल और कॉफी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जबकि कोको, कॉफी और चीनी की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है।
प्रोडक्ट की कीमतें सामान्य
पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड (मार्केटिंग) कृष्णराव बुद्ध का कहना है कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि मौजूदा प्रोडक्ट की कीमतें अब सामान्य हैं। हालांकि कुछ कच्चे माल की कीमतें नीचे हैं, फिर भी हम विशेष रूप से फूड सेगमेंट में इनपुट कॉस्ट पर दबाव देख रहे हैं। ऐसे में प्रोडक्ट्स की कीमतें या तो स्थिर रहेंगी और कुछ मामलों में बढ़ सकती हैं, लेकिन आगे कीमतों में कटौती की संभावना नहीं है।
निकट भविष्य में और बढ़ सकती हैं कीमतें
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, हाउसहोल्ड केयर प्रोडक्ट, फूड और पेय पदार्थों की कीमतें पिछले 10 वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई हैं, लेकिन कोविड के बाद इसमें बढ़ोतरी काफी तेज थी। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले एक साल में कच्चे माल की कीमतों में गिरावट आई है, ऐसे में कंपनियों ने मार्जिन एक्सपेंसन के जरिए प्रॉफिट को बरकरार रखा है। BNP Paribas ने हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि कंपनियां निकट भविष्य में कीमतें बढ़ाने से हिचकेंगी।
ओरल केयर में सबसे ज्यादा इजाफा
रिपोर्ट के अनुसार ब्यूटी और पर्सनल केयर की कुछ कैटिगरी में पिछले दो महीनों में मामूली कीमतों में कटौती हुई हैं, लेकिन ओरल केयर में सबसे बड़ी कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है। डिटर्जेंट और डिश वॉश की कीमतों में पिछले छह महीनों में 15% की कटौती हुई है, लेकिन दो साल पहले की तुलना में अभी भी 4-30% की बढ़ोतरी हुई है। फूड और पेय प्रोडक्ट में खाने के तेल को छोड़कर पिछले छह महीनों में कीमतें काफी हद तक अपरिवर्तित रही हैं। उदाहरण के लिए, साबुन की कीमतों में पिछले छह महीनों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन दो साल पहले की तुलना में यह 15-20% अधिक हैं। दो साल के आधार पर ओरल केयर कैटिगरी में कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, जिससे कोलगेट कंपनी का एबिटा मार्जिन दिसंबर क्वॉर्टर में 33.6% की रेकॉर्ड ऊंचाई छू गया है।
कुछ सामनों के दाम घटे हैं
पिछले दो वर्षों में डिटर्जेंट की कीमतों में 15% की बढ़ोतरी के बाद इस कैटिगरी में पिछली तिमाही में कीमतों में कटौती देखी गई हैं। कच्चे माल की कीमतें बढ़ने लगी हैं, लेकिन कीमतें बढ़ाना मुश्किल हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) की बिक्री में वृद्धि ने लगभग तीन वर्षों में पहली बार शहरी मार्केट को पीछे छोड़ दिया है। इसे डिमांड में सुधार का शुरुआती संकेत बताया जा रहा है।
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