नई दिल्ली । दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन के लिए आने वाले दिनों में अपने लोगों का पेट भरना मुश्किल हो सकता है। दुनिया की 22 फीसदी आबादी चीन में रहती है, उसके पास विश्व की केवल 7 फीसदी कृषि योग्य भूमि है जिसका रकबा 33.4 करोड़ एकड़ है। 1949 से चीन की 20 फीसदी कृषि योग्य भूमि शहरीकरण और औद्योगीकरण की भेंट चढ़ चुकी है। अभी देश में केवल 10 से 15 फीसदी जमीन ही खेती के लिए उपयुक्त रह गई है। भारत में यह 50 फीसदी, अमेरिका में 20 फीसदी, फ्रांस में 32 फीसदी और सऊदी अरब में 1 फीसदी है। चीन में करीब 5,45,960 वर्ग किलोमीटर सिंचित जमीन है और देश की करीब 40 फीसदी फसल भूमि में सिंचाई होती है। चीन में प्रति एकड़ पैदावार बहुत ज्यादा है क्योंकि वह दुनिया में सबसे अधिक फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करता है।
चीन में कृषि उत्पादों की आपूर्ति और मांग में बहुत बड़ा अंतर है। कभी बाढ़, कभी सुखाड़, जैसी बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं, घटती कृषि योग्य जमीन, पानी की गंभीर किल्लत, घटते वर्कफोर्स आदि के कारण चीन को अपनी 1.4 अरब की आबादी का पेट भरने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। 2030 तक चीन की आबादी 1.5 अरब पहुंचने की उम्मीद है और तब हर साल 10 करोड़ टन अतिरिक्त अनाज की जरूरत होगी। चीन की मिनिस्ट्री ऑफ इमरजेंसी मैनेजमेंट के मुताबिक, इस साल बाढ़ और सुखाड़ से देश में धान, गेहूं और दूसरी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। बाढ़ से 5.48 करोड़ लोग प्रभावित हुए जिससे 20.8 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। कीटों के प्रकोप से भी चीन की फूड सप्लाई के लिए गंभीर समस्या है। मक्के की फसल पर लगने वाले कीट फॉल आर्मीवर्म ने 5 राज्यों में कहर बरपाया। इससे देश में मक्के की कीमत 5 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह स्थिति तब थी जबकि सरकार ने अपने भंडार में से 1.4 अरब बुशेल्स मक्का जारी किया।
चीन की खाद्य सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा किसी महामारी या बाढ़ के बजाय खाने की बर्बादी से है। चीन में हर व्यक्ति एक बार खाना खाते वक्त औसतन 93 ग्राम खाना बर्बाद कर देता है। मतलब वहां कुल भोजन का 11.7 फीसदी बर्बाद हो रहा है। सर्वे डेटा के मुताबिक, चीन के लोगों ने 2013 से 2015 तक हर साल 1.7 से 1.8 करोड़ टन खाना बर्बाद किया जिससे हर साल 3 से 5 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है।