दिल्ली सरकार ने वैट टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली 36 कंपनियों को भेजा नोटिस
Updated on
08-08-2020 06:56 PM
नई दिल्ली । दिल्ली सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और लगातार कई कदम उठा रही है। दिल्ली सरकार ने पिछले तिमाही में कर संग्रह की समीक्षा कराई। जिसमें पाया गया कि जीएसटी के तहत पंजीकृत 10800 कंपनियों ने पिछली तिमाही में दिल्ली सरकार को या तो कोई टैक्स नहीं दिया या कम टैक्स दिया है। अब इन कंपनियों पर नकेल कसने की कार्रवाई प्रारंभ हो गई है। इसी के तहत दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को जीएसटीआर अधिनियम 3ए के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करने पर 5,584 कंपनियों को नोटिस भेजा। साथ ही वैट रिटर्न दाखिल न करने वाली 36 कंपनियों को भी नोटिस जारी किया गया है। उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने विश्लेषण में पाया कि ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ई-कॉमर्स, बीमा, वित्तीय सेवा, परामर्श, फार्मास्यूटिकल्स, सुरक्षा और हेल्थकेयर जैसे नौ सेक्टर कोविड-19 महामारी से प्रभावित नहीं हुए थे, फिर भी इन कंपनियों ने रिटर्न दाखिल नहीं किया।
मनीष सिसोदिया ने जीएसटी विभाग को कहा कि इन कंपनियों द्वारा टैक्स रिटर्न दाखिल न करने के पीछे के कारणों की सख्ती से जांच की जाए।
दिल्ली सरकार ने लगभग 15,000 कंपनियों के टैक्स रिटर्न फाइलिंग का अध्ययन करने के बाद 5584 कंपनियों को जीएसटीआर 3ए के तहत और 36 कंपनियों को यू/एस 59 (2) अधिनियम के तहत नोटिस भेजा है। डिप्टी सीएम ने कहा कि नौ क्षेत्र ऐसे हैं, जो कोविड-19 महामारी से अप्रभावित थे, लेकिन इन क्षेत्रों की कंपनियों ने जीरो टैक्स या सिर्फ 50 प्रतिशत टैक्स का भुगतान किया है। सिसोदिया ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के जीएसटी संग्रह के संदर्भ में, मैंने पहली तिमाही में एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण किया है। कोविड-19 महामारी ने खपत को काफी प्रभावित किया है, लेकिन कई क्षेत्रों का गहनता से विश्लेषण किया गया था, जिन क्षेत्रों का महामारी के दौरान खपत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है। लाॅकडाउन के परिणाम स्वरूप कुछ उद्योग जैसे ई-काॅमर्स कंपनियों की इस अवधि में बिक्री संभवतः बढ़ी है। ऐसे ही ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ई-कॉमर्स, हेल्थकेयर, बीमा, वित्तीय सेवाएँ, परामर्श, फार्मास्यूटिकल्स, सुरक्षा क्षेत्र को नुकसान नहीं हुआ है। दिल्ली सरकार अप्रभावित क्षेत्रों की कंपनियों द्वारा टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करने के कारणों की जांच करेगी।
सिसोदिया ने कहा कि इसे देखते हुए कि 935 डीलर, जिन्होंने 2020-21 पहली तिमाही में शून्य टैक्स जमा किया है और 2017 डीलरों ने पिछली तिमाही में 50 प्रतिशत टैक्स दिया है। चूंकि इन क्षेत्रों की कंपनियां प्रभावित नहीं हुई हैं। इसलिए उनके टैक्स भुगतान की स्क्रूटिनी की जा रही है।
वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया के निर्देश पर दिल्ली सरकार के व्यापार और कर विभाग ने जीएसटी के तहत पंजीकृत करदाताओं की रिटर्न फाइलिंग स्थिति का विश्लेषण करना शुरू किया है। सिसोदिया ने विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी, जहां यह प्रस्तुत किया गया कि लगभग 15000 करदाताओं का विश्लेषण किया और लगभग 970 करदाताओं ने जनवरी से मार्च तक 2020-21 के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया। दिल्ली सरकार ने पाया है कि इस वर्ष लगभग 10800 कंपनियों ने जनवरी से मार्च तक कम या शून्य कर का भुगतान किया। इन निष्कर्षों पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार ने डिफॉल्टरों की एक सूची तैयार की है। सिसोदिया ने सभी कंपनियों से तुरंत टैक्स जमा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार बकाएदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। अभी तक 15,000 कंपनियों का विश्लेषण किया है, लेकिन भविष्य में जीएसटी के तहत पंजीकृत 7 लाख कंपनियों का मूल्यांकन किया जाएगा। दिल्ली सरकार मूल्यांकन के बाद सभी बकाएदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। दिल्ली सरकार के विश्लेषण में पाया गया है कि इस वर्ष लगभग 10800 कंपनियों ने जनवरी से मार्च तक कम या शून्य कर का भुगतान किया और केंद्र और राज्य दोनों क्षेत्रों के लगभग 970 करदाताओं ने पिछली दो तिमाहियों के लिए कोई कर जमा नहीं किया है। दिल्ली सरकार को पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2015 करोड़ रुपये कम कर प्राप्त हुआ है। 2019 में दिल्ली सरकार ने टैक्स रिटर्न के रूप में लगभग 5792 करोड़ रुपये एकत्र किए, लेकिन इस साल जनवरी-मार्च में कर संग्रह केवल 3777 करोड़ रुपये रहा है।
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