लंदन । महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप से हलाकान दुनिया में हर रोज नए-नए अध्ययन हो रहे हैं। अब एक अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 की वजह से पुरुषों के सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी होने की बात सामने आई है, जिसके कारण पुरुषों की कामेच्छा पर बुरा असर पड़ रहा है। शोध में यह भी बताया गया है कि शुक्राणुओं के स्तर में गड़बड़ी होने से पुरुषों की रोगों से लड़ने की क्षमता भी क्षीण हो रही है। मेर्सिन विश्वविद्यालय में यूरोलॉजी के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक सेलाहिटिन कायन के अनुसार हालांकि यह पहले ही बताया जा चुका है कि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने से पुरुषों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है जो कि सार्स-कोवि-2 का कारण बन सकती है, लेकिन यह पहला अध्ययन है जो कि यह दावा करता है कि कोविड-19 ही टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अध्ययन के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि कोविड-19 के मामले में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम क्यों होती जा रही है। इसलिए टेस्टोस्टेरोन के उपचार के आधार पर चिकित्सक क्षेत्र में संभावित सुधारों की उम्मीद की जा सकती है। अध्ययन में बताया गया है कि टेस्टोस्टेरोन श्वसन अंगों की प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा होता है, जो कि हार्मोन के स्तर कम होने से श्वसन संक्रमण के जोखिमों को बढ़ाता है। अध्ययन में पाया गया है कि गंभीर कोविड-19 संक्रमित पुरुषों में सेक्स हॉर्मोन के स्तर में कमी पाई गई है।
शोधकर्ता कायन ने बताया कि टेस्टोस्टेरोन का कुल औसत स्तर आईसीयू में भर्ती कोविड-19 के मरीजों की तुलना में हल्के लक्षण वाले कोविड-19 मरीजों में सही पाया गया है। इसके अलावा इंटरमीडिएट केयर यूनिट के रोगियों की तुलना में भी आईसीयू के रोगियों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पर्याप्त नहीं है। वहीं शोधकर्ताओं ने बताया कि उत्तेजक हॉर्मन का स्तर हल्के लक्षण वाले मरीजों की तुलना में आईसीयू वाले मरीजों में उच्च पाया गया है। कायन के मुताबिक अल्पजननग्रंथिता एक स्थिति है, जो कि 51.1 फीसदी पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टोरोन के स्तर में कमी पैदा करती है। अध्ययन के अनुसार कोरोना से मरने वाले पुरुषों में सेक्स हॉर्मोन की मात्रा में भारी कमी पाई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि 46 पुरुषों में से 65.2 फीसदी हल्के लक्षण वाले मरीजो में कामेच्छा की शिकायत आई है। वैज्ञानिकों ने 232 पुरुषों सहित कुल 438 रोगियों का आकलन किया, जिनमें से प्रत्येक में सार्स-कोवि-2 की पुष्टि हुई। इस अध्ययन पर शोधकर्ताओं ने बताया कि इसमें कोविड-19 के अलावा अन्य बीमारियों के समूह के रोगियों का मरीज शामिल नहीं किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के इलाज के साथ मरीज के टेस्टोस्टोरेन के स्तर का भी उपचार बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे मरीजों के रोगों से लड़ने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी।