ह्यूस्टन । भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ताओं की अगुवाई में किए गए एक अध्ययन से कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर नए तथ्य का खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा कि तापमान या आर्द्रता की कोई प्रभावी भूमिका नहीं है। ताजा प्रकाशित शोधपत्र से संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसार पूरी तरह से मानवीय व्यवहार पर निर्भर करता है, न कि गर्मी या सर्दी के मौसम पर। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मौसम केवल उस माहौल को प्रभावित करता है जिसमें कोरोना वायरस किसी नए व्यक्ति को संक्रमित करने से पहले जिंदा रहता है। अध्ययन में कहा गया कि मौसम हालांकि, इंसानी व्यवहार को भी प्रभावित करता है जिससे वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है।
अमेरिका के ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी में प्रोफसर देव नियोगी ने अध्ययन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, ‘मौसम का प्रभाव कम है और अन्य पहलुओं जैसे लोगों की आवाजाही आदि संक्रमण के प्रसार में अधिक प्रभावी हैं। संक्रमण के प्रसार के संदर्भ में विभिन्न कारकों को देखें तो मौसम आखिरी है।’ अध्ययन में मौसम को ‘हवा के तापमान’ के बराबर परिभाषित किया गया जो तापमान और आर्द्रता का संयुक्त मूल्य है। वैज्ञानिकों ने फिर इस आधार पर मार्च से जुलाई 2020 के बीच अमेरिका के विभिन्न इलाकों (राज्यों और काउंटियों), देशों, क्षेत्रों और दुनिया के स्तर पर कोरोना वायरस के प्रसार का विश्लेषण किया। काउंटी और राज्य के स्तर पर अनुसंधानकर्ताओं ने मोबाइल फोन डाटा के आधार पर आवाजाही का अनुमान लगाते हुए कोरोना वायरस के प्रसार और मानव व्यवहार के संबंध की भी जांच की। इन मानकों पर विश्लेषण और संभावित त्रुटियों का आकलन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड-19 के प्रसार में मौसम का प्रभाव लगभग न के बराबर है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, संक्रमण के प्रसार में मौसम का महत्व तीन प्रतिशत से भी कम है और ऐसे किसी विशेष मौसम का संकेत नहीं मिला जिसमें कोरोना वायरस तेजी से फैलता हो। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि इसके उलट इंसानी व्यवहार का सबसे अधिक असर संक्रमण के प्रसार में होता है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के प्रसार में यात्रा और घर से बाहर रहने की भूमिका अहम है। आंकड़ों के मुताबिक, बीमारी के प्रसार में दोनों कारकों का योगदान क्रमश : 34 और 26 प्रतिशत है। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि संक्रमण के प्रसार में दो और कारण... आबादी और शहरी भीड़-भाड़ (जनसंख्या घनत्व) अहम हैं जो क्रमश: 23 और 13 प्रतिशत योगदान करते हैं।