लंदन। डार्विन के विकास का सिद्धांत के मुताबिक पृथ्वी पर मौजूद हर प्रजाति में समय के साथ बदलाव आते रहते हैं। यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। ताजा अध्ययन में पता चला है कि इसी प्रक्रिया के तहत ही अब इंसान के शिशुओं में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं। माइक्रोइवोल्यूशन नाम की इस प्रक्रिया में शोधकर्ताओं ने एक से ज्यादा बदलाव देखे हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि आजकल जो शिशु पैदा हो रहे हैं, उनका जबड़ा थोड़ा छोटा है और उनके पैरों में ज्यादा हड्डियां हैं। अब पैदा होने वाले शुशुओं में अकल की दाड़ नहीं हैं, लेकिन उनकी भुजाओं में एक धमिनी ज्यादा है।
जर्नल ऑफ एनॉटमी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि इंसान अब दूसरे जीवों और अपने पिछले समय के मुकाबले ज्यादा तेज दर से विकास कर रहा है। उन्होंने बताया कि अक्ल की दाड़ में बदलाव इसलिए आया कि समय के साथ इंसान का मुंह छोटा हो गया है। इसी वजह से मुंह में दातों के लिए जगह कम हो गई है। एडिलेड की फ्लिंडर यूनिवर्सिटी की डॉ तेघान लूकस ने बताया कि हमारे खाना चबाने की क्षमता बढ़ने और प्राकृतिक चुनाव दोनों की वजह से बहुत ही कम शिशुओं में बहुत ही कम अक्ल की दाड़ देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग सोचते हैं कि इंसान में उद्भव बंद हो गया है, लेकिन हमारा अध्ययन दर्शाता है कि हममें अब भी बदलाव हो रहे हैं। और इस बदलाव की दर पिछले 250 सालों से कहीं ज्यादा है।
जहां तक धमनी का सवाल है, मेडिन आर्टरी तब बनती है जब शिशु मां के गर्भ में होता है और उसके पैदा होने तक वह गायब भी हो जाती थी। लेकिन अब तीन में से एक लोगों में मेडिन आर्टरी जीवन भर देखने को मिलती है। यह मेडिन आर्टरी इंसान की भुजाओं में होती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया किया, इससे इंसान के जीवन को कोई खतरा नहीं है। इस शोध के अन्य लेखक माची हेनेबर्ग ने इसे माइक्रो इवोल्यूशन कहते हुए बताया, मेडिन आर्टरी इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि हमारा अब भी उद्भव हो रहा है। क्योंकि हाल ही में पैदा हुए लोगों में पिछली पीढ़ियों के मुकाबले यह आर्टरी प्रमुखता से पाई जा रही है। इस शोध में इस बात पर जोर दिया गया कि बीसवीं सदी में लोगों के अलग अलग अंगों में कितना बदलाव आया है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कुछ लोग हाथों और पैरों में अतिरिक्त हड्डियों के साथ या फिर पैरों में दो या उससे ज्यादा हड्डियों के बीच असामान्य जुड़ाव के साथ पैदा हो रहे हैं।