भारत को युद्ध की विभिषीका में झोंकने की अमेरिकी साजिश
Updated on
15-06-2020 08:22 PM
क्या तीसरे विश्व युद्ध का मोहरा होगा भारत?
नई दिल्ली। चीन द्वारा स्वयं तथा नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देशों की सरकार को भड़का कर भारत की घेराबंदी की गई है। विश्व बिरादरी में अमेरिका की शह पर भारत-ऑस्ट्रेलिया सहित यूरोपीय देशों द्वारा चीन को अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है। इसके चलते आशंका पैदा हो रही है, कि कहीं भारत तीसरे विश्व युद्ध में मोहरा तो नहीं बनने जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनावायरस के कारण विश्व के दिग्गज देशों की न केवल आर्थिक कमर टूटी है। बल्कि विश्व बिरादरी में उनका रुतबा भी कम हो गया है। चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाओं सहित अन्य वैश्विक संस्थाओं को प्रभावित कर रहा है। चीन समय-समय पर वीटो भी कर रहा है। इससे अमेरिका सहित तमाम देश चीन के खिलाफ हो रहे हैं।
अमेरिका ने भारत और वियतनाम जैसे देशों को हथियार दिए हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया मिलकर चीन की घेराबंदी कर रहे हैं। फ्रांस-ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश भी अमेरिका के साथ खड़े हैं। चीन को कोरोना महामारी के लिए दोषी ठहरा रहे हैं। कोरोना संक्रमण एवं आर्थिक मंदी के कारण सभी देशों में सत्तासीन सरकारों के खिलाफ प्रर्दशन हो रहे है। महंगाई तथा बेरोजगारी के कारण गरीब एवं बेरोजगार सड़कों पर आ गए है। ऐसी स्थिति में सारी दुनिया के देशों में जो अराजकता फैला रही है उससे तृतीय विश्व युद्ध की आशंका बढ़ने लगी है।
दूसरी तरफ G7 देश के समिट में अमेरिका ने चीन की उपेक्षा करते हुए भारत को आमंत्रण दिया है। इस पर भारत के परंपरागत मित्र रूस ने भी विरोध जताया है। एक प्रकार से भारत के खिलाफ खड़े होने का संकेत रुस ने भी दिया है।
भारत - चीन सीमा पर 1962 युद्ध के बाद सर्वाधिक सैन्य तैनाती देखी जा रही है। उधर पूरी दुनिया भी उन्हीं हालातों में है जैसे हालात प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के समय पर थे।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान स्पेनिश फ्लू जैसी महामारी फैली थी। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भयानक मंदी आ गई थी। जर्मनी का विभाजन हुआ था और युद्ध के लिए जर्मनी पर जुर्माना ठोका भी गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि आज हालात वैसे ही हैं, महामारी फैल चुकी है, दुनिया मंदी की चपेट में है। चीन जैसे शक्तिशाली देश पर अनेक देश जुर्माना लगाने की मांग कर रहे हैं।
उनका यह भी मानना है कि तीसरे विश्वयुद्ध में पहली बार भारत को ना केवल भाग लेना पड़ेगा, बल्कि अमेरिका के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा। जो भारत की नीति के सर्वथा विपरीत होगा। चीन और भारत के बीच सीधा तनाव बना है। चीन ने सुनयोजित रुप से भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका इत्यादि देशों में सामरिक दृष्टि से काफी मजबूत स्थान बना लिया है। चीन और भारत के बीच युद्ध होने की दशा में भारत की सरजमी से तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है। इससे पहले 2 विश्व युद्ध में भारत अपनी मर्जी से कभी शामिल नहीं हुआ था। गुलाम देश होने के कारण उसे ब्रिटेन की पॉलिसी का समर्थन करना पड़ा था। स्वतंत्रता के बाद भारत ने नेहरू जी के नेतृत्व में गुटनिरपेक्ष संगठन बनाकर किसी भी गुट में ना रहने की नीति बनाई। वर्तमान मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद से भारत का अमेरिका की तरफ झुकाव बढ़ा है। जो चीन जैसे देशों को रास नहीं आ रहा है। दूसरी तरफ आर्थिक मंदी और कोरोना के बाद दुनिया के सभी देशों में आंतरिक असंतोष, बेरोजगारी के कारण चरम सीमा पर है। तृतीय विश्व युद्ध के आसार बन रहे हैं। इसमें सबसे चिंताजनक बात यह है कि भारत जो अब तक वैश्विक तनाव में सदैव निरपेक्ष रहता आया है, युद्ध होने की दशा में मुख्य भागीदार होगा। इसलिए सवाल यह है कि भारत विश्व युद्ध की दशा में अमेरिका और मित्र देशों का मोहरा बनेगा?
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