ऐसा नहीं था कि सीएसके के पास अच्छे खिलाड़ी नहीं थे। दिक्कत उनकी सोच में थी। शिवम दुबे और 43 साल के एमएस धोनी को छोड़ दें, तो किसी और बल्लेबाज में पावर-हिटिंग का इरादा नहीं दिख रहा था। सीएसके ने बदलने और आक्रामक रवैया अपनाने में हिचकिचाहट दिखाई। आजकल टी20 में यही तरीका चलता है। इस टूर्नामेंट में डर को दूर भगाना पड़ता है, लेकिन सीएसके की पुरानी सोच उन्हें महंगी पड़ी।